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अमित शाह के द्वारा अंतरराज्यीय संवाद स्थापित करने के लिए अंग्रेजी के बजाय हिंदी भाषा के प्रयोग किये जाने वाले बयान की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कड़ी आलोचना की

अमित शाह द्वारा हिंदी के पक्ष में दिये गये बयान को लेकर दक्षिण भारत में खासी खलबली मची हुई है तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अमित शाह के बयान को देश की एकता के लिए खतरा बताया कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अमित शाह के बयान को सांस्कृतिक आतंकवाद का नाम है

 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा अंतरराज्यीय संवाद स्थापित करने के लिए अंग्रेजी के बजाय हिंदी भाषा के प्रयोग किये जाने वाले बयान की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कड़ी आलोचना की है।

सीएम स्टालिन ने कहा कि यह भारत की विविधता के खिलाफ है और इस तरह के बयान से देश को खतरा पहुंच सकता है।

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का यह कहना कि ‘अंग्रेजी के जगह पर हिंदी का प्रयोग करें’, दरअसल यह सीधे-सीधे भारत की एकता और अखंडता पर चोट करने जैसा है। केंद्र की भाजपा सरकार इस देश की विविधता को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुली हुई है। देश की एकता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक भाषा को माध्यम बनाना चाहती है तो इससे कभी एकता नहीं आ पायेगी। आप भी वही गलती दोहरा रहे हैं लेकिन आप सफल नहीं होंगे।”

मालूम हो कि अमित शाह द्वारा हिंदी के पक्ष में दिये गये बयान को लेकर दक्षिण भारत में खासी खलबली मची हुई है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन से पहले कर्नाटक के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कड़ी आपत्ति जताते हुए शाह की की टिप्पणी को ‘हिंदी थोपना’ जैसा करार दिया था। सिद्धारमैया ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा नहीं है और वे ऐसा कभी नहीं होने देंगे।

शाह के बयान को सांस्कृतिक आतंकवाद का नाम देते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा गैर-हिंदी भाषी राज्यों के खिलाफ “सांस्कृतिक आतंकवाद” के अपने एजेंडे को चला रही है।

सिद्धारमैया ने कहा, “हिंदी को थोपना सहकारी संघवाद की जगह जबरन संघवाद का संकेत देता है। हमारी भाषाओं के बारे में भाजपा अपनी अदूरदर्शी दृष्टिकोण में सुधार करे। वैसे भाजपा की विचारधारा सावरकर जैसे छद्म राष्ट्रवादियों से ली गई है।”

मालूम हो कि अमित शाह के अधीन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा है कि केंद्र सरकार को चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित तौर पर हिंदी का महत्व बढ़ेगा।

उन्होंने सदस्यों को बताया कि अब कैबिनेट का 70 प्रतिशत एजेंडा हिंदी में तैयार किया गया है। इसके साथ ही शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि राजभाषा हिंदी को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाया जाए।

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