खालिस्तानी उग्रवादी अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगी पपलप्रीत सिंह को अमृतसर से पकड़े जाने के बाद असम के डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है।
पपलप्रीत को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसे डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया जहां पहले ही अमृतपाल सिंह के 8 सहयोगी बंद हैं। इस बीच अमृतपाल सिंह के नेपाल भागने की संभावना को लेकर नेपाल पुलिस अलर्ट पर है। नेपाल पुलिस ने सोमवार को कहा कि वह फरार अलगाववादी अमृतपाल सिंह के संभावित प्रवेश को लेकर सतर्क है। कुछ दिन पहले ही अमृतपाल के नाम को निगरानी सूची में डाल दिया गया था।
नेपाल पुलिस के प्रवक्ता पोशराज पोखराज पोखरेल ने कहा, “हमें अमृतपाल के नेपाल में प्रवेश करने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।” उनसे अमृतपाल के नेपाल में घुसने के बारे में स्थानीय मीडिया की खबरों पर सवाल किया गया था। उन्होंने कहा कि नेपाल पुलिस अलर्ट पर है। उन्होंने यह भी कहा कि अमृतपाल का पता लगाने के लिए भारतीय सुरक्षाकर्मियों के देश में प्रवेश करने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है।
पपलप्रीत की गिरफ्तारी को लेकर पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक (मुख्यालय) सुखचैन सिंह गिल ने कहा, ‘‘वह (पपलप्रीत) अमृतपाल सिंह का प्रमुख सहयोगी है। उसे अमृतसर के कथूनांगल इलाके से पकड़ा गया है। पपलप्रीत को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया है और उसके खिलाफ छह अन्य मामले भी दर्ज हैं।
पुलिस ने बताया कि पपलप्रीत को अमृतपाल का ‘गुरु’ माना जाता है और वह कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में था। गिल ने बताया कि पपलप्रीत के खिलाफ आगे की विधिक कार्यवाही की जाएगी। पंजाब पुलिस द्वारा खालिस्तान समर्थकों और उनके सहयोगियों के खिलाफ 18 मार्च को शुरू की गई कार्रवाई के दिन से ही अमृतपाल और पपलप्रीत फरार थे। दोनों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने होशियारपुर सहित कई इलाकों में छापेमारी की।
उधर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के वकीलों ने असम की डिब्रूगढ़ जेल में कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत बंद आठ लोगों से सोमवार को मुलाकात की। पंजाब पुलिस ने अलगाववादी अमृतपाल सिंह और उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान इन लोगों को गिरफ्तार किया था। एसजीपीसी के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता भगवंत सिंह सियालका के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल असम गया। इस प्रतिनिधिमंडल में अधिवक्ता मनदीप सिंह सिद्धू और रोहित शर्मा भी शामिल थे। एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि अकाल तख्त के जत्थेदार के आदेश के बाद डिब्रूगढ़ में रासुका के तहत कैद युवकों के मामलों पर नजर रखी जा रही है।
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