इस समय पूरी दुनिया में कुछ न कुछ चल रहा है। वैसे तो सभी देशों का ध्यान यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर मंडराते युद्ध के खतरे पर है लेकिन इसी बात का फायदा उठाकर कुछ देश बडे़ से बड़े खेल भी कर रहे हैं।
ये खबर सभी के लिए हैरान कर देने वाली और इससे दुनिया में शुरू हुआ एक छोटा सा युद्ध जल्द ही भीषण जंग में तब्दील हो सकता है। यहां हम बात कर रहे हैं, सेंट्रल एशियाई देश अजरबैजान की। जिसने एक बार फिर अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दिया है। उसने तुर्किये से मिले घातक Bayraktar ड्रोन की मदद से अर्मेनिया के कई हथियारों को नष्ट कर दिया है। इसके साथ ही उसने इस देश के नागोर्नो-काराबाख में कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है।
रूस ने ही इन दोनों देशों के बीच सीजफायर करवाया था। अब उसी ने अजरबैजान पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है। ये समझौता विवादित नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर हुआ था। इससे पहले अजरबैजान ने आरोप लगाया था कि अर्मेनिया के गैरकानूनी सशस्त्र समूहों के हमले में उसके तीन सैनिकों की मौत हो गई है। अजरबैजान ने कहा है कि उसने जवाबी कार्रवाई करते हुए ये घातक हमला किया है। इससे पहले साल 2020 की शुरुआत में अर्मेनिया में भीषण जंग हुई थी, जिसमें महज छह हफ्ते के भीतर ही 6500 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद रूस ने दोनों देशों के बीच हस्तक्षेप कर सीजफायर समझौता करवाया था। रूस के बड़ी संख्या में शांतिरक्षक पूरे विवादित इलाके में तैनात किए गए थे। हालांकि अब रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि अजरबैजान के सैनिकों ने सीजफायर का उल्लंघन किया है। रूस का कहना है कि वह स्थिति को सामान्य बनाने के लिए अर्मेनिया और अजरबैजान के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। वहीं अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि काराबाख की सेना ने लाचिन जिले में उसके एक सैनिक को मार दिया है।
अजरबैजान ने इस खूनी घटना के लिए अर्मेनिया को जिम्मेदार ठहराया है। अजरबैजान की सेना का कहना है कि उसने क्षेत्र की ऊंचाई पर स्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों को कब्जे में ले लिया है। उसका दावा है कि उसने अर्मेनिया के गैरकानूनी सशस्त्र समूहों द्वारा अजरबैजान की जमीन पर की जा रही आतंकी गतिविधियों का बदला लेने के लिए प्रतिक्रिया के तौर पर ये कार्रवाई की है।
दूसरी तरफ काराबाख की सेना ने आरोप लगाया है कि अजरबैजान सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है और उसने उसके दो सैनिकों को मार दिया है। जबकि 14 अन्य सैनिकों को घायल किया है। अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच लंबे वक्त से दुश्मनी बनी हुई है। दोनों ही देशों ने 1990 के दशक और 2020 में नागोर्नो काराबाख को लेकर जंग लड़ी थी।
काराबाख में अर्मेनिया मूल के लोग रहते हैं लेकिन कानून कहता है कि इस इलाके पर अजरबैजान का अधिकार है। अजरबैजान को तुर्किये और पाकिस्तानी सेना से बड़ी मदद मिलती है। वहीं तुर्किये के दिए ड्रोन अर्मेनिया के खिलाफ काफी प्रभावी माने जाते हैं।
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