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ऑनलाइन रमी खेल में 20 लाख से अधिक रुपये गंवाने के बाद मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने की आत्महत्या

तमिलानडु के उपनगर तांबरम के पास ममबक्कम में एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने ऑनलाइन रमी खेल में 20 लाख से अधिक रुपये गंवाने के बाद कथित रूप से आत्महत्या कर ली है।पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।पुलिस ने बताया कि शुक्रवार देर शाम जब विनोद कुमार की पत्नी अपने दफ्तर से घर पहुंची, तब उसने पति को फांसी पर लटका हुआ पाया।

 

विनोद ने ऑनलाइन रमी खेल में बड़ी रकम गंवाने के बाद, लोन ऐप के जरिए पैसे उधार भी लिए थे। वह भी हार बैठा। जिसके कारण, पिछले कुछ दिनों से वह मानसिक रूप से काफी परेशान रहने लगा और कल देर शाम को कथित रूप से आत्महत्या कर ली।पुलिस ने एक सुसाइड नोट बरामद किया है।

शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल ले जाया गया है।पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में पैसा खोने के बाद, राज्य में आत्महत्या की यह 44वीं घटना है।पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य डॉ अंबुमणि रामदास ने कहा कि इस घटना से पता चलता है कि पीड़ित ऑनलाइन रमी जैसे खतरनाक खेल के चक्कर में फंसकर किस हद तक कर्ज में डूब सकता है और फिर वह आत्महत्या की दिशा में कदम उठा लेने के लिए मजबूर हो जाता है।

गौरतलब है कि मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को रद्द करने के बाद यह 44वीं आत्महत्या है, जो कि आत्महत्याओं की बाढ़ के मद्देनजर लागू किया गया, और राज्य विधानसभा द्वारा सदन में ऑनलाइन प्रतिबंध लगाने को लेकर विधेयक पारित करने के बाद यह 15वीं घटना है।हालांकि, पिछले साल 18 अक्टूबर को विधेयक को विधानसभा में पारित किए जाने के 138 दिन बाद भी राजभवन ने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है।

विधेयक को मंजूरी देने में देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, श्री अंबुमणि ट्वीट किया, “राज्यपाल को सदन में विधेयक पारित होने के बाद 15 लोगों की आत्महत्या की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने पूछा कि राज्यपाल को विधेयक के लिए अपनी सहमति देने के लिए और कितनी मौतों की आवश्यकता है।

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी विधेयक को स्वीकृति देने में अत्यधिक देरी की निंदा करते हुए राजभवन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।डॉ. अंबुमणि ने कहा कि राज्यपाल को इस मामले पर अपनी कार्रवाई में और देरी नहीं करनी चाहिए और तुरंत विधेयक के लिए अपनी सहमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्यपाल से मिलना चाहिए और विधेयक पर उनकी सहमति लेने पर जोर देना चाहिए।

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