इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ सभी आयुक्त और उपायुक्त शामिल हुए। इसके अलावा उच्च अधिकारी और पांचों चुनावी राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
बैठक में राज्यों के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और मुख्य सचिव ने टीकाकरण और संक्रमण को लेकर अब तक की प्रगति पर जानकारी दी। इनसे बातचीत और चर्चा के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ समीक्षा बैठक हुई। जिसके बाद पाबंदी जारी रखने का फैसला लिया गया। निर्वाचन आयोग चाहता है कि टीकाकरण का आंकड़ा और मजबूत हो।
सूत्रों के मुताबिक पहले चरण का चुनाव प्रचार पिछले चुनावों की तरह अगर 72 घंटे पहले ही बंद होगा तो उससे संभवत: हफ्ते भर पहले छूट मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि छूट मिलेगी भी तो पाबंदियों के साथ। यानी आयोग लगाम में ढील तो देगा लेकिन लगाम हाथ में ही रखेगा।
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक छोटी सभाएं, घर घर संपर्क अभियान जैसी चीजों को लेकर छूट बढ़ाने पर भी बात हुई है। पाबंदियां लागू रखने के पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि मणिपुर में टीकाकरण की सुस्त रफ्तार से आयोग असंतुष्ट है। पंजाब में भी टीकाकरण की रफ्तार बढ़ी तो है, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने में वक्त लगेगा। हालांकि गोवा, उत्तराखंड और यूपी में टीकाकरण और संक्रमण दोनों में काफी सुधार किया है।
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