यहां के खेड़ला चौक पर 31 जुलाई को धार्मिक यात्रा में शामिल हिंदू संगठनों के लोगों पर हुए हिंसक हमले में दो रोहिंग्या भी संलिप्त पाये गए।
पुलिस ने दो को गिरफ्तार किया है। अन्य भी शामिल हो सकते इसकी जांच के साथ करीब दो हजार रोहिंग्या के आधार कार्ड तथा अन्य दस्तावेज की जांच होगी।
खेड़ला चौक पर हुई हिंसा में पकड़े गया सैफुला और महबूब से पूछताछ की गई तो दोनों ने कबूला कि वह कई लोगों के साथ म्यांमार से असम आया और वहां का निवासी बनने के लिए आधार कार्ड तथा अन्य दस्तावेज बनवा लिए थे। असम से आकर दिल्ली रहे फिर वहां पर नूंह के एक मौलाना के संपर्क में आए जिसके बाद डेढ़ साल पहले नूंह आकर रहने लगे। सैफुला गांव नंगली तथा महबूब पुराना बस स्टैंड के पास रह रहा था। दोनों जगहों को रोहिंग्या कैंप के नाम से भी जाना जाता है।
हिंसा में रोहिंग्या कनेक्शन आने के बाद जिला प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच में सामने आया कि जिला में करीब 2000 रोहिंग्या परिवार रह रहे हैं। जिनके पहचान पत्र की जांच की जाएगी। सभी कैसे अपने आधार कार्ड बनवा लिए। बता दें कि हिंसा के अगले दिन ही तावडू में 200 झुग्गी पर प्रशासन का बुलडोजर चला था। यहां रोहिंग्या परिवार के साथ रह रहे थे।
हालांकि यहां रहने वालों की भूमिका हिंसा में नहीं सामने आई पर नूंह तथा आसपास के गांव में रह रहे रोहिंग्या परिवारों में से कई की संलिप्तता हिंसा में पाई गई है। सैफुला और महबूब की गिरफ्तारी ने अब तक सोये रहने वाले प्रशासन की नींद खोल दी है। तावडू में 200 झुग्गी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की जमीन पर बनाई गई थी। दैनिक जागरण ने एक जून में खबर भी प्रकाशित की उसके बाद प्रशासन ने हिंसा होने के बाद झुग्गी तोड़ी थी।
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