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पंकजा मुंडे का छलका दर्द, बोली- ‘शायद मैं काबिल नहीं हूं…’

40 दिन बाद हुआ था महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट का विस्तार पंकजा मुंडे को नहीं मिली कैबिनेट में जगह पंकजा ने अब अपनी नाराजगी जताई है

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में गठित नई सरकार का कैबिनेट विस्तार हो चुका है।

कैबिनेट का विस्तार सरकार गठन के 40 दिन बाद हुआ। इतने दिनों तक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के पर पूरी सरकार चलाने की जिम्मेदारी थी। नई सरकार में 18 मंत्री शामिल किए गए हैं जिसमें 9 भाजपा के और 9 शिंदे गुट के हैं। कयास लगाए जा रहे थे कि नई गठित कैबिनेट में भाजपा नेता पंकजा मुंडे को जगह जरूर मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब इस मुद्दे पर पंकजा मुंडे का बयान आया है।

पंकजा मुंडे ने कहा, “कैबिनेट में शामिल किए जाने के लिए मुझमें शायद पर्याप्त योग्यता नहीं है। उनके अनुसार जो योग्य होगा, उसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। इस पर मेरा कोई रुख नहीं है। मैं अपने सम्मान को बनाए रखते हुए राजनीति करने की कोशिश करती हूं। मैं इस बात की सराहना करती हूं कि पिछली सरकार में मुझे महिला होते हुए भी ग्रामीण विकास का जिम्मा मिला था। महिलाओं को इस तरह के अवसर मिलने चाहिए।”

बता दें कि महाराष्ट्र की नई गठित कैबिनेट में एक भी महिला नहीं है। इसके कारण शिंदे सरकार की काफी आलोचना भी हुई। कांग्रेस ने तो यह आरोप भी लगाया कि भाजपा और उसके सहयोगी महिलाओं को नेतृत्व करने लायक नहीं समझते। इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस कह चुके हैं कि अगले दौर के मंत्रिमंडल विस्तार में महिला विधायकों को निश्चित रूप से मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जिन 18 विधायकों के मंत्री पद की शपथ दिलाई उनमें राधाकृष्ण विखे पाटिल, सुधीर मुनगंटीवार , भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, विजय कुमार गावित, गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संजय राठौड़, सुरेश खाडे, संदीपन भुमरे, उदय सामंत, तानाजी सावंत, रवींद्र चव्हाण, अब्दुल सत्तार, दीपक केसरकर, अतुल सावे, शंभूराज देसाई और मंगलप्रभात शामिल हैं। 18 नए मंत्रियों के शामिल होने के बाद महाराष्ट्र मंत्री परिषद के सदस्यों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।

बता दें कि पंकजा मुंडे भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। 3 जून 2014 को नई दिल्ली में दुर्घटना के दौरान गोपीनाथ की मौत हो गयी थी। वह स्वर्गीय प्रमोद महाजन की भतीजी हैं, और राहुल महाजन उनके चचेरे भाई हैं। राजनीति में आने से पहले वह एक गैर सरकारी संगठन का हिस्सा थीं।

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