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ब्राजील में एक बड़े विमान वाहक पोत को समुद्र में डुबो दिया, फ्रांस से अरबों डॉलर में खरीदा गया था विमान वाहक पोत

दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के देश ब्राजील में एक बड़े विमान वाहक पोत को समुद्र में डुबो दिया गया। यह विमान वाहक पोत फ्रांस से अरबों डॉलर में खरीदा गया था और पुराना होने पर नौसेना से बाहर किया गया था। इसे अब ब्राजील की नौसेना ने अटलांटिक महासागर में जलसमाधि दी है, तो कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

कई पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि सेवामुक्त किए गए विमानवाहक पोत को अटलांटिक में डुबोना समुद्री जीवों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा। उनका कहना था कि इस विमानवाहक पोत में ऐसी खतरनाक सामग्री थी जो पानी में जा सकती है और समुद्री खाद्य श्रृंखला को प्रदूषित कर सकती है।

ब्राजील की नौसेना ने बड़ा विमानवाहक पोत डुबोया

पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद नौसेना ने अपनी योजना को अंजाम दिया। नौसेना ने आज एक बयान में कहा, “विमानवाहक पोत को डुबोने की प्रक्रिया आवश्यक तकनीकी क्षमता और सुरक्षा के साथ पूरी की गई है। ऐसा करना जरूरी था, ताकि ब्राजील को रसद, ऑपरेशन, पर्यावरण और आर्थिक क्षति से बचा जा सके।” एक अधिकारी ने कहा कि यह पूर्व फ्रांसीसी जहाज जहरीले पदार्थों से भरा हुआ था।

पांच महीनों से अटलांटिक की सतह पर तैर रहा था

बता दें कि ब्राजील की नौसेना ने जिस विमान वाहक पोत को समुद्र में डूबोया है, उसे “साओ पाउलो” कहा जाता था। यह वो विमान वाहक पोत था, जिसके जरिए परमाणु परीक्षण किए गए थे। इन दिनों यह एक बड़े भूतिया जहाज में बदल गया था क्योंकि यह पिछले पांच महीनों से अटलांटिक में बिना किसी काम के तैर रहा था।

इसे डुबोने के फैसले पर पर्यावरणविदों ने सरकार को कोसा, तो रक्षा अधिकारियों ने कहा कि वे जहाज को “सबसे सुरक्षित क्षेत्र” में डुबाएंगे। जिसके बाद अधिकारियों ने बताया कि विमान वाहक पोत को “साओ पाउलो” तट से लगभग 350 किलोमीटर (217 मील) अटलांटिक महासागर में डुबोया गया है।

फ्रांस ने बनाया था यह विमान वाहक पोत

यह विमान वाहक पोत फ्रांस में 1950 के दशक के अंत में बनाया गया था। फ्रांसीसी नौसेना में इसे “फोक” कहा जाता था। जहां इसने करीब 37 साल तक सेवाएं दीं। यह विमान वाहक पोत 266 मीटर लंबा (873 फीट लंबा) था, जिसमें चालक दल के 1,300 सदस्यों और 30 लड़ाकू-बमवर्षकों को रखने की क्षमता थी।

सन् 2000 में खरीदा था ब्राजील ने

1960 के दशक में, इसने प्रशांत क्षेत्र में फ्रांस के पहले परमाणु परीक्षण में भाग लिया। 1970 से 1990 के दशक तक, यह अफ्रीका, मध्य पूर्व और पूर्व यूगोस्लाविया में तैनाती में लगा रहा। उसके बाद 2000 में इसे ब्राजील ने 12 मिलियन डॉलर (€ 11 मिलियन) में खरीद लिया। हालांकि, 2017 में इसे निष्क्रिय कर दिया, जहां इसने समुद्र की तुलना में बंदरगाहों पर ज्यादा समय बिताया।

नहीं मिल रहा था कोई खरीदार

बहरहाल, अभी इस विमान वाहक पोत को डुबोने की बड़ी वजह यह रही कि ब्राजील सरकार को इसे खरीदने के लिए कोई खरीदार नहीं मिल रहा था। 2022 में, ब्राजील ने इसको $2 मिलियन (€ 1.8 मिलियन) में तुर्की की एक शिपयार्ड फर्म- सोक डेनिज़सिलिक को बेच दिया था। हालांकि, पोत अपने गंतव्य तक कभी नहीं पहुंचा, क्योंकि तुर्की के पर्यावरण अधिकारियों ने इसके प्रवेश पर रोक लगा दी थी, जिब्राल्टर के जलडमरूमध्य तक पहुंचने से कुछ ही समय पहले इसे वापस ले जाना पड़ा। वहीं, फिर यह पोत जब ब्राजील लौटा तो पर्यावरणप्रेमियों ने पर्यावरण के लिए “उच्च जोखिम” का हवाला देते हुए इसे बंदरगाह में नहीं जाने दिया।

The Gulf Indians

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