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मध्य प्रदेश उपचुनाव: कांग्रेस और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों के लिए एक अग्निपरीक्षा

ग्वालियर: 

चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को कांग्रेस पार्टी के “स्टार प्रचारकों” की लिस्ट से हटाकर भले ही उपचुनाव में कांग्रेस की योजनाओं पर ब्रेक लगा दिया हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री को चुनाव आयोग से मिली फटकार के पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है. कई लोगों का मानना है कि इन उप चुनावों का फोकस भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया का योगदान होगा. सिंधिया ने इसी साल 22 विधायकों के साथ कांग्रेस से बगावत करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था और कमलनाथ की सरकार गिर गई थी, नतीजतन फिर से राज्य में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने.

उप चुनावों से पहले की सियासी अंकगणित अहम है. राज्य में कुल 28 विधान सभा सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं. इनमें से 22 सीटें कांग्रेस विधायकों (सिंधिया गुट) के इस्तीफे से खाली हुई थीं. कांग्रेस चाहेगी कि सभी सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में वापसी करे, जबकि भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए मात्र नौ सीटों की जरूरत होगी.

हालांकि, 49 वर्षीय ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह गणित थोड़ा अलग है. गुणा से चार बार लोकसभा सांसद रहे सिंधिया चाहेंगे कि उनके गुट के सभी 22 विधायक, जिन्होंने उनके लिए इस्तीफा दिया था, फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचे. सिंधिया के लिए यह उप चुनाव उनके इलाके में उनके राजनीतिक कद को फिर से परिभाषित और पुनर्स्थापित करेगा क्योंकि 22 में से 16 सीटें ग्वालिर और चंबल इलाके की हैं, जहां सिंधिया परिवार का दबदबा रहा है.

खुद सिंधिया भी सभाओं में ये बात कहते दिख रहे हैं. ग्वालियर से 50 किलोमीटर दूर सिहोनिया की एक चुनावी सभा में सिंधिया ने मतदाताओं से कहा, “यह चुनाव केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच की लड़ाई नहीं है बल्कि ग्वालियर-चमोली क्षेत्र की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है.” भूरे रंग का कुर्ता पहने और गले में बीजेपी का पट्टा लटकाए सिंधिया भाषण के बीच-बीच में नाटकीय अंदाज में अपने बालों में हाथ फेरते दिखते हैं.

सिंधिया को अपनी नई पार्टी (और लोगों) के सामने खुद को साबित करने की जरूरत में उनकी चुनौती सिर्फ कांग्रेस नहीं है, बसपा भी इस उपचुनाव में हर सीट पर चुनाव लड़ रही है लेकिन वो मायावती की पार्टी से उतने परेशान नहीं हैं. एनडीटीवी से उन्होंने कहा, “हमें अपने अभियान पर ध्यान केंद्रित करना होगा.. हमें अपने मुद्दों… और विचारधारा पर टिके रहना चाहिए.”

3 नवंबर को वोटिंग है. उससे पहले मुरैना में बीजेपी के कई टॉप नेता सिंधिया के साथ मंच साझा करने वाले हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व सीएम उमा भारती उन नेताओं में शामिल हैं. उमा भारती का सिंधिया परिवार से पुराना नाता रहा है.

 

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