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मध्य प्रदेश में कांग्रेस-बीजेपी कई नेताओं से छीन सकती है जिम्मेदारी

ध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने में भले ही एक साल का वक्त हो, मगर दोनों ही राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में लग गए हैं। यही कारण है कि दोनों राजनीतिक दल कमजोर कड़ी को खत्म करने के लिए कई नेताओं से जिम्मेदारी छीनने का मन बना चुके हैं।

पिछले दिनों हुए नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव के आए नतीजों के बाद से दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा सजग और सतर्क हो गए हैं।

दोनों ही दलों को इच्छा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले तो उसकी बड़ी वजह संगठन से जुड़े कई ऐसे नेताओं के चेहरे सामने आए हैं जिन्होंने चुनाव पार्टी को नुकसान पहुंचाया है।

पहले पार्टी संगठन को मजबूत करना

भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो पार्टी ने लगभग एक दर्जन जिला अध्यक्षों को पार्टी के लिए कमजोर कड़ी माना है, जिन्होंने चुनाव में अपनी जिम्मेदारी का बेहतर तरीके से निर्वाह नहीं किया। परिणामस्वरुप भाजपा के हिस्से में हार आई। ऐसे पदाधिकारियों की पार्टी में सूची बना दी है जिन्होंने चुनाव में नुकसान पहुंचाने का काम किया है। लिहाजा विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी संगठन को और मजबूत करना चाहती है, इसके लिए जरूरी है कि पार्टी के नेताओं में यह संदेश जाए कि जो पार्टी की रीति नीति के खिलाफ काम करेगा उसे दंडित किया जाएगा। यही संदेश देने के लिए कई नेताओं की जिम्मेदारी के पदों से छुटटी करने की तैयारी कर ली गई है।

प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ साफ तौर पर कहा

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी बड़े बदलाव की तैयारी में चल रही है। उसने अभी हाल ही में जिला प्रभारी और सह प्रभारी की नियुक्ति की है तो आने वाले समय में कई जिम्मेदार पद पर बैठे पदाधिकारियों को हटाने की भी तैयारी चल रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ साफ तौर पर कह चुके हैं कि जो निष्क्रिय हैं वे पद छोड़ दें अथवा पार्टी उन्हें पद से हटा देगी।

विधानसभा चुनाव और रोचक हो जाएंगे

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का संगठन कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा मजबूत है मगर संगठन में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए पार्टी हित को किनारे रख देते हैं और अगर पार्टी सर्जरी करती है तो उसका लाभ मिलना तय है। वहीं कांग्रेस के लिए भी आज इस बात की ज्यादा जरूरत है कि वह संगठन को सशक्त बनाए और निष्क्रिय लोगों को घर बैठा दे। दोनों ही राजनीतिक दल अगर वाकई में अपने संगठन को और मजबूत करते हैं तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और रोचक हो जाएंगे।

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