Breaking News

महाराष्ट्र राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव में कांटे की टक्कर

सोमवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था। 288 सदस्यीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचक मंडल बनाते हैं। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को 25.81 वोट हासिल करने होते हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सदाभाऊ खोत और राकांपा के शिवाजीराव गजरे ने सोमवार को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के लिए अपना नामांकन वापस ले लिया, जिससे 10 सीटों के लिए अब मैदान में 11 उम्मीदवार बचे हैं।

 

पिछले सप्ताह राज्यसभा चुनाव के बाद अब राज्य में भाजपा और सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच एक और मुकाबला देखने को मिलना तय है। एक अधिकारी ने बताया कि विधान परिषद की 10 खाली सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसके लिए 20 जून को मतदान होगा।

सोमवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था। महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती देवेंद्र फड़नवीस सरकार (2014-19) में पूर्व मंत्री, खोत ने विपक्षी भाजपा के समर्थन से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को 25.81 वोट हासिल करने होते हैं, जहां 288 सदस्यीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचक मंडल बनाते हैं।

भाजपा ने पांच उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि सत्तारूढ़ एमवीए के एक घटक कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों को टिकट दिया है। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के पास अपने क्रमश: पांचवें और दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त वोट नहीं हैं। राज्यसभा चुनावों के विपरीत, जिसमें विधायकों को वोट डालने के बाद संबंधित पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि को अपना मतपत्र दिखाना होता था, विधान परिषद के चुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से होंगे, जिससे क्रॉसिंग-वोटिंग और निर्दलीय एवं छोटे दलों के सदस्यों के निष्ठा बदलने की आशंका उत्पन्न होगी।

भाजपा ने निवर्तमान एमएलसी प्रसाद लाड और प्रवीण दारेकर को फिर से टिकट दिया है, और राम शिंदे, उमा खापरे और श्रीकांत भारतीय को भी टिकट दिया है। प्रदेश की वरिष्ठ भाजपा नेता पंकजा मुंडे को सूची में जगह नहीं मिली। इस कदम ने मुंडे के समर्थकों को निराश किया।

कांग्रेस ने मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप और पूर्व मंत्री चंद्रकांत हंडोरे को मैदान में उतारा है। राकांपा ने विधान परिषद के वर्तमान सभापति रामराजे नाइक निंबालकर और पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे को मैदान में उतारा है। शिवसेना ने आदिवासी बहुल नंदुरबार जिले से पार्टी के पदाधिकारी सचिन अहीर और अमश्य पड़वी को उम्मीदवार बनाया है।

राज्य विधानमंडल के उच्च सदन के लिए चुनाव राज्यसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद हो रहा है, जिसमें भाजपा ने अपने तीसरे उम्मीदवार धनंजय महादिक के लिए आश्चर्यजनक जीत सुनिश्चित की, जबकि शिवसेना के उम्मीदवार संजय पवार को हार का सामना करना पड़ा। राज्यसभा चुनाव 10 जून को हुआ था।

चुनाव कराना इसलिए जरूरी हो गए हैं क्योंकि परिषद के 10 सदस्य सेवानिवृत्त हो रहे हैं। फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, ”हम उम्मीद कर रहे थे कि परिषद के चुनाव निर्विरोध होंगे, लेकिन इस मोर्चे पर कोई सफलता नहीं मिली। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को वापस लेने से इनकार कर दिया। हमें विश्वास है कि हमारे सभी पांच उम्मीदवार जीतेंगे।”

The Gulf Indians

Recent Posts

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव के लिए मतगणना शुरू, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के सभी चार पदों के नतीजे आज घोषित किए जाएंगे

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) चुनाव का मतदान शुक्रवार को संपन्न हुआ। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव…

8 months ago

बाजार की विश्वसनीयता को बढ़ावा देना नए ऑफ-प्लान रियल एस्टेट कानून के प्रमुख लाभों में से एक है

मंगलवार को सऊदी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित ऑफ-प्लान रियल एस्टेट परियोजनाओं को बेचने और पट्टे पर…

8 months ago

Crown Prince: सऊदी अरब 21वीं सदी की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है

क्राउन प्रिंस और प्रधान मंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि सऊदी अरब 21वीं सदी…

8 months ago

This website uses cookies.