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यूक्रेन से निकासी अभियान पर अभी कोई फैसला नहीं, घटनाक्रम पर हमारी पूरी नजर-विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत ने यूक्रेन से निकासी अभियान पर कोई निर्णय नहीं लिया है और हमारा ध्यान छात्रों और अन्य नागरिकों सहित भारतीय नागरिकों पर बना हुआ है।

एक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि रूस और यूक्रेन तनाव के बीच कीव में दूतावास द्वारा घटनाक्रम की निगरानी की जा रही है। बागची ने कहा, हमने नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं। हमारे पास 24/7 हेल्पलाइन भी है। मुझे नहीं लगता कि निकासी पर कोई निर्णय लिया गया है, हमारा दूतावास सामान्य रूप से काम कर रहा है और यूक्रेन में भारतीय नागरिकों को सेवाएं प्रदान कर रहा है।

घटनाक्रम पर हमारी नजर

चल रहे घटनाक्रम की गंभीरता पर बागची ने कहा कि हम घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं साथ-साथ इस पर भी विचार कर रहे हैं कि हम अपने नागरिकों की सहायता कैसे कर सकते हैं। हमारा ध्यान भारतीय नागरिकों, भारतीय छात्रों, भारतीय नागरिकों पर है और रहता है। उससे बढ़कर कुछ भी नहीं।

बागची ने आगे कहा कि भारत की तत्काल निकासी की कोई योजना नहीं है और न ही कोई विशेष उड़ानें हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि एयर बबल व्यवस्था के तहत सीमित संख्या में उड़ानें थीं, उड़ानों और यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटा दिया गया है। भारतीय जहाजों को भारत-यूक्रेन के बीच चार्टर्ड उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

जर्मनी जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर

इसके अलावा अरिंदम बागची ने जानकारी दी कि विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। जर्मनी में वह म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे। वह विदेश मंत्रियों और सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।

बागची ने कहा, म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में वह इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेंगे और एक आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भी चर्चा करेंगे, जिसकी मेजबानी म्यूनिख में हमारे भारत के महावाणिज्य दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा की जाएगी। इसके बाद विदेश मंत्री पेरिस जाएंगे, जहां वह अपने फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां-यवेस ले ड्रियन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। उनके निमंत्रण पर विदेश मंत्री 22 फरवरी को इंडो-पैसिफिक में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय मंच में भी भाग लेंगे।

कनाडा के घटनाक्रम पर नजर

बागची ने कहा कि उसने कनाडा सरकार द्वारा देश के ट्रक ड्राइवरों के विरोध को दबाने के लिए आपातकालीन अधिनियम लागू करने की ओर ध्यान दिया है और वह कनाडा के घटनाक्रम को देख रहा है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हम कनाडा में नाकेबंदी और विरोध के संदर्भ में घटनाक्रम को देख रहे हैं। हमने देखा है कि कनाडा की सरकार ने वास्तव में आपातकालीन अधिनियम लागू किया है।

दिसंबर 2020 में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में आए थे और कहा था कि उनका देश शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहेगा। इस बयान से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। भारत ने भारतीय किसानों को समर्थन देने वाली टिप्पणियों के लिए ट्रूडो पर निशाना साधा था और टिप्पणी को अनुचित करार दिया था क्योंकि मामला एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित था।

पूर्व पीएम मनमोहन के बयान पर प्रतिक्रिया

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा भारत की विदेश नीति के संदर्भ में दिए गए बयान पर अरिंदम बागची ने कहा कि वह एक राजनीतिक बयान था न कि किसी नीति के तहत दिया गया बयान। जहां तक चीन की बात है तो सारी चीजें साफ हैं कि कैसे स्थिति उत्पन्न हुईं।
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