उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में यहां के समृद्ध इतिहास के चिन्ह बिखरे पड़े हैं। राजधानी लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सितापुर में भी इतिहास के चिन्ह मौजूद हैं। लेकिन रखरखाव की कमी के कारण बर्बाद हो रहे हैं। अपनी नक्कशियों और बुलंद इमारत में एक इतिहास समेटे खैराबाद का मक्का दर्जी इमामबाड़ा व मस्जिद के गेट जमींदोज कर दिया गया। नगर पालिका की जेसीबी चली और हैरत की बात है कि जिम्मेदारों को पता तक नहीं चला। ईओ नगर पालिका परिषद खैराबाद हृदयानंद उपाध्याय ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नही है।
शासन प्रशासन की उदासीनता का आलम यह है कि पिछले दो दशकों से यहां कोई झांकने तक नहीं पहुंचा है। अपनी खूबसूरती के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध मुगल काल में बने इस भूलभुलैया की तुलना लखनऊ की भूलभुलैया से की जाती है। उपेक्षा से बदहाल होती जा रही भूलभुलैया पर फिलहाल कुछ लोगों का कब्जा है। आरोप है कि कुछ लोग इसकी बेशकीमती जमीन को हथियाने की फिराक में रहते हैं।
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