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शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई कि बाजार में नई फसल की आवक शुरू होने के साथ स्थिति में होगा सुधार, कहा – जुलाई में मानसून और खरीफ की बुवाई में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली

दुनियाभर के बड़े देशों में उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की रेटिंग को फिच ने गिरा दिया है। वहीं, मूडीज ने कई बैंकों की रेटिंग घटा दिया है। इससे एक बार फिर वैश्विक मंदी का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ता हुआ नहीं दिख रहा है।

रिजर्व ने अपनी मौद्रिक पॉलिसी में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है। आरबीआई ने बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। वहीं, महंगाई को लेकर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत, तीसरी में 5.7 प्रतिशत और चौथी में 5.2 प्रतिशत रहेगी। यानी इस साल महंगाई से बहुत राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

हालांकि, महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर नहीं है। हाल के दिनों में सब्जियों के दाम बढ़ने से महंगाई एक बार फिर बढ़ी है। इसको देखते हुए केंद्रीय बैंक ने अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.1 प्रतिशत से 5.4 प्रतिशत कर दिया है। टमाटर और अन्य सब्जियां महंगी होने की वजह से रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान में बढ़ोतरी की है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि घरेलू स्तर पर आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं। दास ने कहा कि खरीफ की बुवाई और ग्रामीण मांग में सुधार तथा सेवाओं में तेजी और उपभोक्ता भरोसा बढ़ने से परिवारों के उपभोग को समर्थन मिलेगा।

नई फसल की आवक से महंगाई घटेगी

हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि बाजार में नई फसल की आवक शुरू होने के साथ स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि जुलाई में मानसून और खरीफ की बुवाई में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है। गवर्नर ने आगाह करते हुए कहा कि बारिश के असमतल वितरण पर निगाह रखने की जरूरत है। अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.3 प्रतिशत पर थी, जो जून में बढ़कर 4.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। मुख्य रूप से खाने-पीने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है।

कमजोर वैश्विक मांग से जोखिम बना हुआ

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, कमजोर वैश्विक मांग, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता, भूराजनीतिक तनाव परिदृश्य के लिए जोखिम हैं।’’ इन सब कारकों को ध्यान में रखकर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का अनुमान है कि 2023-24 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहेगी। पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर आठ प्रतिशत, दूसरी में 6.5 प्रतिशत, तीसरी में 6 प्रतिशत और चौथी में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। महंगाई के बारे में दास ने कहा कि टमाटर और अन्य सब्जियां महंगी होने से निकट भविष्य में मुख्य मुद्रास्फीति पर दबाव रहेगा।

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