2016 से ही चाचा—भतीजे के बीच टकराव रहा है। 2018 में शिवपाल यादव ने अपनी नई पार्टी बनाई। फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में चाचा—भतीजा एक मंच पर आ गए।
समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को अपनी सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से दो टूक कहा, ‘आपको जहां ज्यादा सम्मान मिले वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं।’
इस बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर जवाब दिया है। शिवपाल सिंह यादव ने सपा के फैसले पर प्रतिक्रिया में ट्वीट किया है, ”मैं वैसे तो सदैव से ही स्वतंत्र था, लेकिन समाजवादी पार्टी द्वारा पत्र जारी कर मुझे औपचारिक स्वतंत्रता देने हेतु सहृदय धन्यवाद।” इसी ट्वीट में उन्होंने कहा है, ”राजनीतिक यात्रा में सिद्धांतों एवं सम्मान से समझौता अस्वीकार्य है।”
सपा की चिठ्ठी के बाद सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर का बयान आया है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राजभर ने कहा, ”आज जो तलाक उन्होंने (सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने) दिया है, उसे हमने कबूल कर लिया है। हम उसका स्वागत करते हैं क्योंकि उनके यहां दलित, अति पिछड़ों के हक की बात नहीं सुनी जाती।” सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव और पूर्व राज्य मंत्री रहे डॉ. अरविन्द राजभर की भी प्रतिक्रिया आई है।
अरविन्द राजभर ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “ख़ुद-कुशी करती है आपस की सियासत कैसे, हमने ये फ़िल्म नई ख़ूब इधर देखी है। धन्यवाद है समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव जी को…फिप मिलेंगे चलते चलते।” डॉ. अरविन्द राजभर के इस ट्वीट को ओमप्रकाश राजभर ने रीट्वीट भी किया है।
समाजवादी पार्टी ने पत्र भेजकर अपनी मंशा से अवगत कराया है। सपा ने राजभर और शिवपाल को भेजा गया पत्र ट्विटर पर साझा किया है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राजभर ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ”आज जो तलाक उन्होंने (सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने) दिया है, उसे हमने कबूल कर लिया है। हम उसका स्वागत करते हैं क्योंकि उनके यहां दलित, अति पिछड़ों के हक की बात नहीं सुनी जाती।”
सपा के इस फैसले को लेकर उसपर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है, ”सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जी आप पिछड़े वर्ग के किसी भी नेता के बढ़ते कद को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।” मौर्य ने अपने ट्वीट में यादव पर आरोप लगाया है, ”आप चाहते हैं, ओबीसी का कोई दूसरा बड़ा नेता न हो, आप पिछड़ों के विरोधी हैं। जब आप सीएम थे तब ओबीसी के किस नेता को डिप्टी सीएम बनाया?” उन्होंने दावा किया कि पिछड़ों का विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है।
गौरतलब है कि हाल में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव में राजभर और शिवपाल द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किए जाने के बाद सपा ने यह कदम उठाया है। चुनाव में सपा ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन किया था, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा है।
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