दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 39 साल के एक शख्स की रोबोट से किडनी ट्रांसप्लांट की गई। इसके साथ ही डॉक्टर्स देश के किसी सरकारी अस्पताल में इस तरह की पहली रोबोटिक सर्जरी होने का दावा कर रहे हैं।
यह सर्जरी करने वाले सफदरजंग अस्पताल के यूरोलॉजी, रोबोटिक्स एंड रेनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप कुमार ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के रहने वाले एक शख्स की किडनी फेल हो गई थी और वह बीते पांच साल से किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे थे. डॉक्टर्स का कहना है कि मरीज हेमडायलिसिस पर था।’
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज की 34 साल की पत्नी उन्हें अपनी किडनी डोनेट करना चाहती थी और वे अन्य अस्पतालों में सर्जरी कराने का इंतजार कर रहे थे।
डॉ. कुमार ने कहा कि ये लोग निजी अस्पतालों में सर्जरी कराना अफोर्ड नहीं कर सकते थे जबकि सरकारी अस्पतालों में सर्जरी के लिए लंबी लिस्ट थी। डॉ. कुमार ने कहा कि उन्होंने तीन महीने पहले सफदरजंग अस्पताल का रुख किया था। डोनर और मरीज दोनों की जांच की गई और सभी तरह के प्रोटोकॉल के पूरा होने के बाद मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट को हरी झंडी मिली।
उन्होंने कहा, मरीज का वजन अधिक होने की वजह से उनकी पारंपरिक ओपन सर्जरी होना मुश्किल होता इसलिए हमने रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया। यह सर्जरी बुधवार को हुई। उन्होंने कहा कि ओपन सर्जरी में 12 से 14 सेंटीमीटर का लंबा चीरा लगाना जरूरी है, जिससे ऑपरेशन के बाद दर्द होने के साथ-साथ इन्फेक्शन और हर्निया होने का खतरा बना रह सकता है। डॉ. कुमार ने कहा, लेकिन मरीज पर रोबोटिक सर्जरी करने के अच्छे नतीजे रहे. इस प्रक्रिया के दौरान चार एमएम का चीरा लगाया गया और रोबोट ने मरीज की सर्जरी की।
डॉक्टर का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी में हाई डेफिनेशन 3डी स्क्रीन और विशेष इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान सर्जन कंप्यूटर कंसोल के जरिए रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट को कंट्रोल कर ऑपरेशन करते हैं। रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट की खास बात यह है कि इन्हें 360 डिग्री तक घुमाया जा सकता है और उस जगह तक आसानी से पहुंचा जा सकता है, जहां ओपन सर्जरी में पहुंचने में दिक्कत होती है। इस दौरान रेनल आर्टरी, नसों आदि में भी टांके लगाए गए, जिससे ना तो खून बहा और ना ही ब्लड ट्रांसफ्यूशन हुआ।
उन्होंने कहा कि सर्जरी के बाद डोनर और मरीज दोनों ठीक है। यह सर्जरी लगभग डेढ़ घंटे तक चली. मरीज को कल डिस्चार्ज किया जाएगा जबकि प्रोटोकॉल के मुताबिक डोनर को पांच दिन के बाद डिस्चार्ज किया जाएगा। मौजूदा समय में देश में ऐसे बहुत कम केंद्र हैं, जहां इस तरह की सर्जरी की जाती है। इनमें भी अधिकतर निजी अस्पतालों में हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब देश के किसी सरकारी अस्पताल में रोबोट से किडनी ट्रांसप्लांट की गई है।
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