शीना बोरा हत्याकांड में मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दे दी है।
सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायिक हिरासत में चल रही इंद्राणी मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।
उन्होंने कहा कि आरोपी इंद्राणी धारा 437 के तहत विशेष छूट की हकदार हैं। इसके साथ ही वह पिछले 3.5 साल से जेल में हैं। इतना ही नहीं, पिछले 11 महीनों से सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई है।
दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि 237 में से 68 गवाहों की जांच की गई लेकिन इंद्राणी को पिछले कई साल से परोल नहीं दी गई है। जब कोर्ट ने पूछा कि परोल क्यों नहीं दी गई तो रोहतगी ने कहा कि उन्होंने परोल ली ही नहीं। हालांकि उनके पति पीटर मुखर्जी को जमानत मिल गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायिक हिरासत में चल रही इंद्राणी मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। इससे पहले इंद्राणी मुखर्जी को बाम्बे हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी थी।
बता दें कि इंद्राणी मुखर्जी अगस्त 2015 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से मुंबई की बायकुला महिला कारागार में बंद है। विशेष सीबीआई अदालत ने भी इंद्राणी को जमानत देने से कई बार मना कर दिया था। अपनी बेटी शीना की हत्या के आरोप में इंद्राणी मुखर्जी पर 24 अप्रैल 2012 से ट्रायल चल रहा है। सीबीआइ 2012 से इस मामले की जांच कर रही है। इंद्राणी पर आरोप है कि उन्होंने शीना की गला दबाकर हत्या कर दी थी और शव को रायगढ़ जिले के एक जंगल में दफना दिया था। जांच एजेंसियों का दावा था कि उन्हें शीना बोरा के अवशेष भी मिले हैं।
इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की सीबीआई ने भी जांच की, लेकिन यह केस आज भी अनसुलझा है। यह एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री है, जिसका रहस्य आज तक सामने नहीं आया। पिछले साल इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई को पत्र लिखकर दावा किया था कि शीना बोरा जिंदा है और कश्मीर में है। इस दावे ने सभी को चौंका दिया था। इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई निदेशक को बताया था कि उनकी बेटी जिंदा है और वह इस वक्त कश्मीर में है, जांच एजेंसी उसकी तलाश शुरू करे।
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के जंगल में एक लड़की की अधजला शव मिला था। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शिनाख्त करने की कोशिश की, लेकिन शव क्षत-विक्षत होने से उसकी पहचान नहीं हुई। पुलिस ने शव से सैंपल लेकर फॉरेंसिक रिपोर्ट के लिए भेजा और शव का अंतिम संस्कार कर दिया था। तीन साल तक पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी रही, लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा। 2015 में पुलिस को ड्राइवर के खुलासे से केस सुलझाने में मदद मिली थी।
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