सुप्रीम कोर्ट ने सेम-सेक्स शादियों को कानूनी मान्यता देने पर केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सेम-सेक्स विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर देशभर के हाईकोर्ट्स में लंबित केसों को अपने पास ट्रांसफर कर लिया है।
शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के लिए हाईकोर्ट्स में लंबित याचिकाओं को अपने यहां ट्रांसफर कर छह जनवरी को सुनवाई करेगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेब पारदीवाला की बेंच समलैंगिक विवाहों पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने शुक्रवार को समलैंगिक विवाहों के मुद्दे पर सभी याचिकाओं को एक साथ करते हुए केंद्र सरकार से एक संयुक्त जवाब दाखिल करने को कहा है। केंद्र को 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करना होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे की सुनवाई के लिए मार्च में सूचीबद्ध करेगा।
पीठ ने कहा कि कोई भी याचिकाकर्ता, यदि अदालत के समक्ष शारीरिक रूप से बहस करने के लिए उपलब्ध नहीं है तो वर्चुअल प्लेटफॉर्म की सुविधा लेते हुए शामिल हो सकता है। कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं के वकीलों से इस मुद्दे, कानूनों और मिसाल अगर कोई हो, एक लिखित नोट दाखिल करने को कहा है। बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि इस जवाब के दौरान कोई भी याचिकाकर्ता छूटे नहीं। सभी याचिकाओं का विवरण तैयार कर उसे एक जगह करना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि अदालत के पास दो विकल्प उपलब्ध हैं। एक याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए तैयार है और शीर्ष अदालत अपने फैसले का इंतजार कर सकती है या वह सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर सकती है। हालांकि, कई याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने पीठ को बताया कि वे चाहते हैं कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर एक आधिकारिक घोषणा के लिए सभी मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर ले और केंद्र शीर्ष अदालत के समक्ष अपना जवाब दाखिल कर सके। इस पर शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के लिए उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर छह जनवरी को सुनवाई करेगी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने संबंधी याचिका पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा शादी के अपने अधिकार को लागू करने और विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
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