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‘सूरत’ और ‘उदयगिरि’ युद्धपोत नौसेना को मिले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो स्वदेशी फ्रंटलाइन युद्धपोतों का उद्घाटन किया

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज भारतीय नौसेना (Indian Navy) द्वारा बनाए गए दो स्वदेशी फ्रंटलाइन युद्धपोतों का उद्घाटन किया है।

सूरत और उदयगिरि नाम के इन दो युद्धपोतों को मुंबई के मझगांव डॉक्स लिमिटेड पर लॉन्च किया गया है। इसका उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा, ‘भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित आईएनएस सूरत और आईएनएस उदयगिरि की लॉन्चिंग सेरेमनी में आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। ऐसे ऐतिहासिक प्रदेश में, जो वीर शिवाजी, संभाजी, और कान्होजी जैसे नायकों की कर्मभूमि रही हो, इनकी लॉन्चिंग और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।’

 

उन्होंने कहा, ‘हमारे देश की एक अद्वितीय भौगोलिक स्थिति है। समुद्र के साथ हमारा बड़ा पुराना नाता रहा है। समुद्र ने एक तरफ हमें प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराकर हमें समृद्ध किया है, तो दूसरी ओर इसने हमें दुनिया भर से जोड़ने का भी काम किया है। ’ रक्षा मंत्री ने कहा कि आज जब एमडीएसएल द्वारा निर्मित आईएनएस सूरत और आईएनएस उदयगिरि की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हो रही है, तो इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है कि आने वाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि दुनिया भर की जरूरतों के लिए भी जहाजों का निर्माण करेंगे।

‘उदयगिरि’ का नाम आंध्रप्रदेश राज्य की एक पर्वत श्रृंखला से प्रेरित

राजनाथ सिंह ने कहा कि इंडो-पेसिफिक से पूरी दुनिया भर का दो तिहाई से अधिक ऑयल शिपमेंट होता है। यहां एक तिहाई बल्क कारगो और आधे से अधिक कंटेनर ट्रैफिक गुजरते है। यानी यह क्षेत्र पूरी दुनिया के अपने इंटरेस्ट को प्राप्त करने में एक मुख्य मार्ग की भूमिका निभाता है। युद्धपोत ‘उदयगिरि’ का नाम आंध्रप्रदेश राज्य की एक पर्वत श्रृंखला से मिलता है और यह प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट का दूसरा युद्धपोत है। इससे पहले 28 सितंबर 2019 को आईएनएस नीलगिरी को लॉन्च किया गया था।

स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में यह एक ऐतिहासिक घटना

आईएनएस ‘सूरत’, 15बी डेस्ट्रायर प्रोजेक्ट का हिस्सा है और ‘उदयगिरि’ 17 ए फ्रिगेट प्रोजेक्ट का युद्धपोत है। देश के स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में यह एक ऐतिहासिक घटना है। सूरत युद्धपोत को ब्लॉक निर्माण पद्धति का उपयोग करके बनाया गया है, जिसमें अलग-अलग जगहों पर पार्ट बनाकर जोड़ा गया है, जिससे 7 साल में बनने वाला युद्धपोत 5 साल में तैयार हो गया है।

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