हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में बादल फटने से तबाही मची है। यह बदाल हिमाचल प्रदेश और चीन नियंत्रित तिब्बत से सटे समदो बॉर्डर के पास फटा है।
समदो बॉर्डर से तकीह 9 किलोमीटर पहले किन्नौर के पूह खंड की शलखर पंचायत में बादल फटने के बाद 8 नालों में बाढ़ आ गई।
बाढ़ की वजह से पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
सोमवार को दोपहर बाद इस इलाके में भारी बारिश हो रही है। इसी बीच शाम करीब 6 बजे इलाके के ऊपरी हिस्से में बादल फट गया। बाढ़ की वजह से कई वाहन मलबे में दब गए और घरों में भी मलबा और पानी भर गया है। बाढ़ और मलबे की वजह से काजा और स्पीति घाटी के लिए जाने वाला नेशनल हाईवे भी बंद गया है। किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
बादल फटने से गोतांग इलाके से निकलने वाले पकते नाला, मूर्तिक्यू नाला, ढूनाला, देनानाला, बस स्टैंड नाला, शारंग नाला और गौतांग नाले में बाढ़ आ गई। शलखर गांव में पानी और मलबा भर गया। पानी के तेज बहाव और मलबे में सड़क और घरों के बाहर खड़े वाहन मलबे में दब गए। कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है। जलशक्ति विभाग समेत स्थानीय करीब 6 कूहलें क्षतिग्रस्त हो गई है।
लाहौल पुलिस ने सैलानियों और स्थानीय लोगों के लिए अलर्ट जारी किया है। पुलिस ने कहा कि पर्यटकों और स्थानीय जनता को सूचित किया जाता है कि जिला किन्नौर के शलखर गांव के बीच बादल फटा है। बादल फटने से बाढ़ की स्थिति है। शलखर और चांगो, सुमदो चेक पोस्ट से पूह की ओर 7 से 10 किलोमीटर दूर है। किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। सड़क पूरी तरह से बंद हो गई है। इसलिए वाहनों की आवाजही को सुमदो से शलखर की ओर रोक दिया जाता है।
किसी जगह पर 1 घंटे के भीतर 10 सेमी यानी 100 मिमी से ज्यादा बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहते हैं। एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश हो जाना बादल फटना कहलाता है। मॉनसून की गर्म हवाओं के ठंडी हवाओं के संपर्क में आने पर बड़े आकार के बादलों का निर्माण होता है। ऐसा पर्वतीय कारकों के चलते भी होता है। इसलिए हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं ज्याता होती हैं।
बादल फटना आमतौर पर गरज के साथ होता है। जब काफी नमी वाले बादल एक जगह ठहर जाते हैं तब बादल फटने की घटना होती है। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं, जिनके भार से बादल का घनत्व काफी बढ़ जाता है और तेज बारिश होने लगती है।
पानी से भरे इन बादलों को पहाड़ों की ऊंचाई आगे नहीं बढने देती। ऐसे में बादल पहाड़ों में फंस जाते हैं। वाष्प से भरे बादलों का एक साथ घनत्व बढ़ जाता है और एक ही क्षेत्र में तेज बारिश होने लगती है। पहाड़ों पर ढलान होने से पानी तेजी से नीचे की तरफ आता है और जो भी चीज उसके रास्ते में आती है उसे वह बहा ले जाता है।
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए लोगों को घाटियों की बजाय सुरक्षित जगहों को घर बनाना चाहिए। ढलान पर मजबूत जमीन वाले क्षेत्रों में रहना चाहिए। बादल फटने की घटनाओं का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता, लेकिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया जा सकता है। ऐसे में प्रशासन और लोगों को मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए।
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