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5वें राउंड की मीटिंग में किसान संगठनों ने सरकार से मांगा पिछली बैठक में उठाए गए मुद्दों पर लिखित जवाब

नई दिल्ली: Farmer’s Protest Updates: केंद्र के कृषि कानून (Farm Laws) के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. देशभर में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच कानून पर बने गतिरोध को सुलझाने के लिए आज बातचीत हो रही है. 5वें राउंड की बैठक में किसान प्रतिनिधियों ने सरकार से पिछली बैठक में उठाए गए मुद्दों पर लिखित जवाब मांगा है. किसान नेताओं का कहना है कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, कानून में संशोधन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है. सरकार को संसद का सत्र बुलाकर कानून रद्द करना होगा. जब तक संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों नए कानून रद्द नहीं किए जाते किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) तेज होता जा रहा है. ऑल इंडिया किसान सभा के नेता बालकरण सिंह बरार ने एनडीटीवी से कहा, “हमने सरकार को चौथी दौर की बातचीत में बता दिया है कि कानून में संशोधन का विकल्प हमें मंजूर नहीं है. सरकार को संसद का सत्र बुलाकर कानून रद्द करना होगा. जब तक संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों नए कानून रद्द नहीं किए जाते किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. कृषि राज्य का विषय है. भारत सरकार ने कृषि सुधार पर तीन नए कानून बनाकर राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है. यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करने की एक कोशिश है. हम आंदोलन करते रहेंगे. मौखिक आश्वासन आंदोलन खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.

महाराष्ट्र के किसान नेताओं संदीप पाटिल और शंकर दारेकर ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के फैसले के दौरान संसद की मंजूरी नहीं ली थी. सरकार अध्यादेश लाकर तीनों कानूनों को रद्द कर सकती है. संसद के शीतकालीन सत्र में अध्यादेशों को संसद की मंजूरी दी जा सकती है. हमने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान सरकार को चेतावनी देने के लिए किया है. सरकार अगर कानून रद्द करने पर तैयार नहीं होती तो किसानों का आंदोलन और तीव्र होता जाएगा. वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आज की बैठक निर्णायक हो सकती है.समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसानों का चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी रहा है. इस दौरान, एक किसान ने कहा कि यदि सरकार के साथ बातचीत में आज कुछ ठोस नहीं निकलता है तो हम संसद का घेराव करेंगे.

नये कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान नेताओं की पांचवें दौर की वार्ता शनिवार को शुरू हुई. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश इस बैठक में उपस्थित हैं. ये उन बिंदुओं पर विचार-विमर्श करेंगे जो किसान नेताओं ने उठाए थे और उसका समाधान पेश करेंगे.

किसान संगठनों ने शुक्रवार को बैठक की. बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्च की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने बताया कि हमने मीटिंग में तय किया है कि तीनों कानून को रद्द करे बिना नहीं मानेंगे. उन्होंने बताया कि सरकार कुछ संशोधन करने को तैयार है लेकिन हमने सरकार से साफ कहा है कि सरकार तीनों कानून वापस ले. किसान नेताओं ने कहा कि हम 8 दिसंबर को पूरे देश के टोल प्लाजा पर कब्जा करेंगे और जो दिल्ली के बचे कुचे रास्ते हैं उन्हें भी बंद करेंगे. किसानों कहा है कि वो कल 5 दिसंबर को पीएम मोदी के पुलते जलाएंगे

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने उन प्रावधानों के संभावित समाधान पर काम किया है, जिन पर कृषि नेताओं ने आपत्तियां जताई हैं. सरकार ने शनिवार को गतिरोध भंग होने की उम्मीद जताई है ताकि किसानों का विरोध प्रदर्शन जल्द से जल्द खत्म हो.पिछली बैठक में, कृषि मंत्री तोमर ने 40 किसान संगठनों के नेताओं को आश्वासन दिया था कि सरकार एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों को मजबूत करने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धा का समान स्तर बनाने और विवाद समाधान के लिए उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाये जा सकने का प्रावधान करने के लिए खुले मन से विचार करने को तैयार है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने धमकी दी है कि अगर सरकार मांगों को पूरा करने में विफल रही तो किसानों का आंदोलन तेज होगा. टिकैत ने कहा, ‘‘बृहस्पतिवार को हुई बैठक के दौरान सरकार और किसान किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पाये. सरकार तीन कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन हम चाहते हैं कि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त किया जाए.”उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार हमारी मांगों पर सहमत नहीं होती है, हम विरोध जारी रखेंगे. हम यह देखना चाह रहे हैं कि शनिवार की बैठक में क्या होता है.”

किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि नए कानून ‘‘किसान विरोधी” हैं और ये एमएसपी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा किसानों को बड़े निगमित कंपनियों (कार्पोरेट) की रहम पर छोड़ दिया जायेगा. हालांकि, सरकार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत करेंगे.

 

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