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Arnab Goswami: जेल से छूटने के बाद टीवी स्टूडियो पहुंचे अर्नब ने उद्धव ठाकरे को दी चुनौती

न्यायिक हिरासत में एक सप्ताह जेल में गुजारने और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद फिर से न्यूज रूम पहुंचे पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने ‘उन्हें गिरफ्तार करने को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर बुधवार को हमला बोला। रिपब्लिक चैनल में अपने सहकर्मियों से घिरे गोस्वामी ने कहा, उद्धव ठाकरे, सुन लो मुझे। आप हार गए।

उन्होंने एक इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर खुदकुशी के लिए उकसाने के 2018 के मामले में अपनी गिरफ्तारी पर मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भी आड़े हाथों लिया।
गोस्वामी ने कहा कि तलोजा जेल में उनसे पुलिस तीन दौर की पूछताछ करती थी। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे आपने मुझे एक पुराने, फर्जी मामले में गिरफ्तार किया, और मुझसे माफी तक नहीं मांगी।

उन्होंने कहा, खेल अब शुरू हुआ है। गोस्वामी ने कहा कि वह हर भाषा में रिपब्लिक टीवी शुरू करेंगे और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी उनकी उपस्थिति है।

फिर से गिरफ्तार होने की आशंका व्यक्त करते हुए गोस्वामी ने कहा कि मैं जेल के अंदर से भी (चैनल) शुरू करूंगा, और आप (ठाकरे) कुछ नहीं कर पाएंगे। गोस्वामी ने अंतरिम जमानत देने के लिए शीर्ष अदालत का आभार जताया।

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। इसके साथ ही अदालत ने अर्नब और अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। गोस्वामी को पिछले बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। अंतरिम जमानत मिलने के कुछ घंटे बाद गोस्वामी रायगड जिला स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिए गए।

गोस्वामी बुधवार शाम लगभग साढ़े आठ बजे जेल से बाहर आए। जेल के बाहर जुटे लोगों का उन्होंने कार में से हाथ हिलाकर अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के आभारी हैं। गोस्वामी ने विजय चिह्न प्रदर्शित करते हुए कहा कि ‘यह भारत के लोगों की जीत है।’ इससे पहले न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि अर्नब और दो अन्य आरोपियों को 50 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। पीठ ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि आदेश का तत्काल पालन किया जाए।

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं।

अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि ‘हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं।’

 

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