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DDA के नौ सेवानिवृत्त, दो सेवारत अधिकारियों के15 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करने का आदेश

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने वीरवार को राजधानी के किंग्सवे कैंप में कोरोनेशन पार्क के उन्नयन और सौंदर्यीकरण में कथित वित्तीय हेराफेरी के 9 साल पुराने मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के नौ सेवानिवृत्त और दो सेवारत अधिकारियों के खिलाफ 15 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

 

इसमें दो सेवारत अधिकारी तत्कालीन सदस्य (इंजीनियरिंग) और तत्कालीन सदस्य (वित्त) अब दूसरी जगह तैनात हैं। उपराज्यपाल ने सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन को भी स्थायी रूप से वापस लेने का आदेश दिया है। उपराज्यपाल डीडीए के पदेन अध्यक्ष भी हैं। उपराज्यपाल ने अधिकारियों को 15 दिनों में कार्रवाई रिपोर्ट भी पेश करने के निर्देश दिए हैं।

राजनिवास सूत्रों ने कहा कि गंभीर भ्रष्टाचार और सरकारी खजाने को नुकसान को देखते हुए उपराज्यपाल ने इन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन का केवल 25 प्रतिशत वापस लेने की विभाग की सिफारिश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और पूर्ण पेंशन लाभ को स्थायी रूप से वापस लेने का आदेश दिया है।

सूत्रों के अनुसार डीडीए ने किंग्सवे कैंप स्थित कोरोनेशन पार्क को 14.24 करोड़ रुपए की निविदा लागत से उन्नयन व सौंदर्यीकरण के कार्य को 2013 में मंजूरी दी थी। लेकिन परियोजना की लागत बढक़र 28.36 करोड़ रुपए हो गई। साथ ही, नरेला और धीरपुर में बिना किसी स्वीकृति के 114.83 करोड़ रुपए के कार्य एक ही निविदा के तहत दिए गए। इस तरह ठेकेदार को कुल 142.08 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि नए टेंडर बुलाकर अतिरिक्त काम किया जाना चाहिए था, जिससे न केवल प्रतिस्पर्धी बोली के मामले में करोड़ों की बचत होती, बल्कि बेहतर गुणवत्ता भी सुनिश्चित होती। सूत्र ने कहा कि यह ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत का मामला है। संभावित कमीशन के बदले ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए सभी निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया गया था।

सूत्रों ने कहा कि 114.83 करोड़ रुपए के अतिरिक्त कार्य के निष्पादन को तत्कालीन मुख्य अभियंता (उत्तर क्षेत्र) ने अक्तूबर 2014 में सेवानिवृत्ति के दिन मंजूरी दी थी और तत्कालीन सदस्य (इंजीनियरिंग) ने उसकी सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। एक अधिकारी ने कहा कि खाते और वित्त विभाग के अधिकारियों ने अन्य मदों से धन को डायवर्ट करके भुगतान जारी किया और इस तरह निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया।

उपराज्यपाल ने कहा है कि प्रभावी पर्यवेक्षण और आंतरिक लेखा परीक्षा तंत्र के लिए एक फुलप्रूफ प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर से न हों।

इन पर हुई कार्रवाई

सेवानिवृत्त अधिकारियों में एक मुख्य अभियंता, एक अधीक्षण अभियंता और एक कार्यकारी अभियंता शामिल हैं, जबकि अन्य अधिकारी वित्त और लेखा विभाग में कार्यरत थे। कार्रवाई का सामना करने वाले अधिकारियों में तत्कालीन सदस्य (इंजीनियरिंग) अभय कुमार सिन्हा, तत्कालीन सदस्य (वित्त) वेंकटेश मोहन, मुख्य अभियंता (सेवानिवृत्त) ओम प्रकाश, अधीक्षण अभियंता (सेवानिवृत्त) नाहर सिंह ईई (सेवानिवृत्त) जेपी शर्मा, उपमुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सेवानिवृत्त), पीके चावला, सहायक लेखा परीक्षक (एएओ) (सेवानिवृत्त) जसवीर सिंह एएडी (सेवानिवृत्त), एससी मोंगिया, अतिरिक्त अभियंता एई (सेवानिवृत्त) एससी मित्तल अतिरिक्त अभियंता (एई) (सेवानिवृत्त) आरसी जैन और अतिरिक्त अभियंता (एई) (सेवानिवृत्त) दिलबाग सिंह बैंस शामिल हैं।

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