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अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई संसद, हंगामे से भरा रहा सत्र

संसद का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो गया। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही तय समय से एक दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। 

 

संसद का शीतकालीन सत्र अपने निर्धारित समय से एक दिन पहले बुधवार को संपन्न हो गया है. राज्यसभा और लोकसभा में सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित घोषित कर दिया गया. इससे पहले संसदीय सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि चूंकि अधिकतर सरकारी विधायी कार्य अभी तक संपन्न हो चुका है, मौजूदा सत्र को उसके निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया जा सकता है। मौजूदा शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था और इसके 23 दिसंबर तक चलने का कार्यक्रम था।

संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार कई विधेयकों को पारित कराने में सफल साबित हुई। सत्र की शुरुआत में ही कृषि कानूनों को वापस लेने वाले बिल पर मुहर लगाई गई। वहीं, मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने संबंधी चुनाव सुधार बिल, जजों के वेतन-भत्ते व सेवा शर्तें, एनडीपीएस बिल, सीबीआई-प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने और जननीय प्रजनन उपचार उद्योग विनियमन बिल को संसद से मंजूरी मिली।

सदन में किन मुद्दों पर हुआ हंगामा?

शीतकालीन सत्र में पूरे समय विपक्षी सांसदों के निलंबन का मुद्दा छाया रहा. इस मुद्दे पर विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण कई बार सदन को स्थगित किया गया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दलों के नेता सरकार पर आरोप लगाते दिखे कि उन्हें संसद में जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की इजाजत नहीं दी गई। विपक्ष ने किसानों के मुद्दे, कृषि बिल, महंगाई, लखीमपुर खीरी, पेगासस, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों पर सदन में चर्चा की लगातार मांग की।

विपक्ष का आरोप है कि सरकार की तरफ से उनकी मांगों को सिरे से खारिज कर दिया गया। विपक्ष पूरे सत्र के दौरान गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा की बर्खस्तगी पर अड़ा रहा। इसके अलावा विपक्ष की तरफ से सदन में सीमा सुरक्षा बल के दायरे को बढ़ाए जाने के मुद्दे पर भी चर्चा की मांग की गई।

निलंबन पर घमासान

विपक्ष के 12 सांसदों का निलंबन रद्द करने के लेकर संसद में लगातार गतिरोध देखने को मिला। विपक्ष ने कहा कि सांसदों का निलंबन असंवैधानिक है। वहीं, सदन के सभापति ने कहा कि निलंबन नियमों के मुताबिक है। गत 29 नवंबर को निलंबन के बाद से विपक्षी सांसद संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक निलंबन रद्द नहीं होगा, तब तक वे संसद की कार्यवाही के दौरान सुबह से शाम तक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठेंगे।

कौन से सांसद हुए निलंबित

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन (29 नवंबर) राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले सत्र के दौरान कथित तौर पर किए गए ‘अशोभनीय आचरण’ इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

सत्र के अंत में डेरेक ओ ब्रायन भी सस्पेंड

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने मंगलवार को कहा कि भाजपा द्वारा ‘संसद का मखौल उड़ाए जाने’ और चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक को ‘थोपने’ का विरोध करने पर उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।  उन्होंने उम्मीद जतायी कि जिस तरह कृषि कानून वापस लिये गये, उसी तरह इस विधेयक को भी शीघ्र ही निरस्त किया जाएगा। ओ ब्रायन को मंगलवार को शीतकालीन सत्र के बाकी समय के लिए संसद के उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने पीठासीन अधिकारी पर नियमावली पुस्तिका फेंक दी थी।

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने मंगलवार को कहा कि भाजपा द्वारा ‘संसद का मखौल उड़ाए जाने’ और चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक को ‘थोपने’ का विरोध करने पर उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया . उन्होंने उम्मीद जतायी कि जिस तरह कृषि कानून वापस लिये गये, उसी तरह इस विधेयक को भी शीघ्र ही निरस्त किया जाएगा। ओ ब्रायन को मंगलवार को शीतकालीन सत्र के बाकी समय के लिए संसद के उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने पीठासीन अधिकारी पर नियमावली पुस्तिका फेंक दी थी।

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