इस्तीफे के बाद पत्रकारों से बात करते हुए लोबो ने कहा कि वह पार्टी के कामकाज से नाराज हैं। हालांकि, उन्होंने अपने फैसले के लिए केंद्र या राज्य के नेताओं को दोष नहीं दिया।उन्होंने कहा कि मैं अपने साथ हो रहे व्यवहार से परेशान था। जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती है। मैंने अपनी आंखों से देखा है, कानों से सुना है। पार्टी इतनी बड़ी हो गई है कि उसे अब जमीनी कार्यकर्ताओं के योगदान का कद्र नहीं है। कई लोग मेरे पास शिकायत करने आए थे। पार्टी में उतार-चढ़ाव होते हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं की अनदेखी नहीं हो सकती है।
गोवा के वरिष्ठ नेता लोबो ने कहा कि ये बातें मैं लंबे समय से कह रहा हूं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। लेकिन मुझे लगा कि हमें दरकिनार कर दिया गया है।
लोबो कई दलों से संपर्क में
लोबो ने कहा कि वह कई राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन उनका भविष्य क्या है, इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। लोबो, प्रमोद सावंत कैबिनेट के अधिक मुखर सदस्यों में से एक थे। इस्तीफा देने वाले तीसरे ईसाई विधायक हैं। उनका कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद से पार्टी ने एक अलग मोड़ लिया है।
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