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ट्विटर मामला : हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल हुआ, तो होगी कड़ी कार्रवाई,राज्यसभा में बोले रविशंकर

मोदी सरकार माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक्शन लेने की तैयारी में नजर आ रही है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को राज्यसभा में बोलते हुए सोशल मीडिया कंपनियों को कड़ा संदेश दिया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया का प्रयोग अगर हिंसा, फेक न्यूज, वैमनस्य बढ़ाने के लिए किया जाएगा, तो कार्रवाई होगी। इससे पहले, ट्विटर मामले पर अमेरिका ने भारत का समर्थन दिया है। अमेरिका ने कहा कि वह दुनिया भर में लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, ऐसे में भारत का फैसले का समर्थन करता है।

भारत सरकार ने ट्विटर के अधिकारियों के साथ बैठक में किसान आंदोलन को फर्जी और भ्रामक सूचना फैलाने वाले अकाउंट को ब्लॉक करने के निर्देश दिया। खालिस्तान और पाकिस्तान से संबंधित 1178 अकाउंट बंद करने का आदेश देने के बाद केंद्र और ट्विटर के बीच टकराव बढ़ गया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि भारत के कानून के हिसाब से चलना होगा। सोशल मीडिया से अफवाह फैलाने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज इस सदन के पटल से चाहे वह ट्विटर हो, फेसबुक हो चाहे वह लिंक्डइन हो या कोई हो या वाट्सऐप हो, मैं विनम्रता से आग्रह करूंगा भारत में आप काम करिए। आपके करोड़ों फॉलोअर्स हैं, हम उसका सम्मान करते हैं, पैसे कमाइए,लेकिन भारत के संविधान का आपको पालन करना होगा। भारतीय कानून का हर हाल में पालन करना होगा। हिंसा भड़काने और भ्रामक जानकारी फैलाने का किसी को अधिकार नहीं दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के संबंध में सरकार की तरफ से उठाए गए कदम को लेकर पूछे गए आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार गुप्ता के सवाल का जवाब दिया।आप सांसद ने सदन में पूछा था कि सरकार ने झूठी सोशल मीडिया को रोकने के लिए क्या-क्या कानून बनाए हैं और क्या-क्या कानून बनने की प्रक्रिया में हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ” आमतौर मैं कहना चाहता हूं कि अमेरिका दुनिया भर में लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे लगता है कि जब ट्विटर की नीतियों की बात आती है, तो ट्विटर को भी  यह समझना होगा।’

अमेरिकी सोशल माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने केंद्र सरकार के उस आदेश का पूरी तरह से पालन करने में असमर्थता जताई है,  जिसमें उसने खालिस्तान व पाकिस्तान से संबंधित 1100 अकाउंट को हटाने के लिए कहा था। हालांकि,  कंपनी ने 500 से अधिक अकाउंट पर भारत में रोक लगा दी है। उसका कहना है कि यह कदम भारत सरकार द्वारा ‘केवल भारत में ही’ कुछ अकाउंट को बंद करने के निर्देश के तहत उठाया है। साथ ही सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और मीडिया के अकाउंट को बंद नहीं किया क्योंकि ऐसा करने से देश के कानून के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन होता।

मोदी सरकार ने 4 फरवरी को ट्विटर से 1178 अकाउंट को हटाने के लिए कहा था। इनका पाकिस्तानी और खालिस्तानी जुड़ाव पाया गया था तथा इनसे किसानों के प्रदर्शन को लेकर भड़काऊ सामग्री पोस्ट की जा रही थी। इनमें से 583 अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसके अलावा अन्य 500 पर भ्रामक सामग्री फैलाने वाला मानकर कार्रवाई की। इनमें से कुछ अकाउंट को स्थायी तौर पर बंद भी किया गया है। सरकार ने पिछले महीने किसानों के आंदोलन के संबंध में ट्वीट को लेकर 257 अकाउंट पर रोक लगाने के लिए कहा था। इस पर ट्विटर ने कुछ घंटे के लिए रोक लगाकर फिर से इसे बहाल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने आदेश का पालन नहीं होने का नोटिस जारी किया और कानूनी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है।

ट्विटर ने बुधवार को ब्लॉग पोस्ट जारी कर कहा कि वह सरकार के कुछ आग्रहों को पूरा नहीं कर सकता है क्योंकि उसका मानना है कि यह भारतीय कानूनों के अनुरूप नहीं है। अपने यूजर्स के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा को ध्यान में रखते हुए न्यूज मीडिया कंपनियों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं  और राजनेताओं के अकाउंट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। साथ ही कहा कि यूजर्स  की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए वह भारतीय कानूनों के तहत विकल्पों पर विचार कर रही है,  जो ट्विटर व यूजर्स  के अकाउंट को प्रभावित करते हैं।

 

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