India

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों को बलात्कार नहीं कहा जा सकता

संविधान के अनुच्छेद 14, 15 या 21 का उल्लंघन नहीं है। धारा 3 के तहत क्रूरता की परिभाषा में शामिल किया गया है। एनजीओ ‘हृदय’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय को उक्त बातें कहीं।

पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों को बलात्कार नहीं कहा जा सकता है और इस संबंध में गलत काम को अधिक से अधिक यौन उत्पीड़न कह सकते हैं और पत्नी सिर्फ अपने अहम की तुष्टि के लिए पति को विशेष सजा देने के लिये मजबूर नहीं कर सकती है।

इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले एक एनजीओ ‘हृदय’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय को उक्त बातें कहीं। एनजीओ के वकील ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में लाने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर विचार कर रही अदालत से कहा कि वैवाहिक मामले में गलत यौन कृत्यों को यौन उत्पीड़न माना जाता है।

जिसको घरेलू हिंसा कानून की धारा 3 के तहत क्रूरता की परिभाषा में शामिल किया गया है। हृदय की ओर से पेश हुए वकील आर. के. कपूर ने इस बात पर जोर दिया कि वैवाहिक बलात्कार को अपवाद में इसलिए रखा गया है क्योंकि इसका लक्ष्य ”विवाह संस्था की रक्षा” करना है और यह मनमाना या संविधान के अनुच्छेद 14, 15 या 21 का उल्लंघन नहीं है।

वकील ने कहा, ”संसद यह नहीं कहता है कि ऐसा काम यौन उत्पीड़न नहीं है, लेकिन उसने विवाह की संस्था को बचाने के लिए इसे दूसरे धरातल पर रखा है।” उन्होंने कहा, ”पत्नी अपने अहम की तुष्टि के लिए संसद को पति के खिलाफ कोई खास सजा तय करने पर मजबूर नहीं कर सकती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और घरेलू हिंसा कानून में एकमात्र फर्क सजा की अवधि का है, दोनों ही मामलों में यौन उत्पीड़न को गलत माना गया है।” इस मामले में अदालत अगली सुनवाई 27 जनवरी को करेगी। “वैवाहिक संबंधों में पति और पत्नी के बीच यौन संबंध को बलात्कार के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता है और सबसे खराब रूप से इसे केवल यौन शोषण कहा जा सकता है, जो घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत परिभाषित क्रूरता की परिभाषा से स्पष्ट होगा।”

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ एनजीओ आरआईटी फाउंडेशन, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ, एक पुरुष और एक महिला द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें भारतीय बलात्कार कानून के तहत पतियों को दिए गए अपवाद को खत्म करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने धारा 375 आईपीसी (बलात्कार) के तहत वैवाहिक बलात्कार अपवाद की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है जिनका उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है।

The Gulf Indians

Recent Posts

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव के लिए मतगणना शुरू, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के सभी चार पदों के नतीजे आज घोषित किए जाएंगे

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) चुनाव का मतदान शुक्रवार को संपन्न हुआ। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव…

8 months ago

बाजार की विश्वसनीयता को बढ़ावा देना नए ऑफ-प्लान रियल एस्टेट कानून के प्रमुख लाभों में से एक है

मंगलवार को सऊदी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित ऑफ-प्लान रियल एस्टेट परियोजनाओं को बेचने और पट्टे पर…

8 months ago

Crown Prince: सऊदी अरब 21वीं सदी की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है

क्राउन प्रिंस और प्रधान मंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि सऊदी अरब 21वीं सदी…

8 months ago

This website uses cookies.