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द्रौपदी मुर्मू को मिले 64 फिसदी वोट, लेकिन 4 राज्यों में नहीं मिले 15 फिसदी वोट

द्रौपदी मुर्मू ने 64 फीसदी वोट पाकर राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। उन्हें यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों से बंपर समर्थन मिला है। यही नहीं देश भर से 126 विधायकों और 17 सांसदों ने अपनी पार्टी लाइन से अलग हटकर उनके लिए क्रॉस वोटिंग भी की है। पर यह तस्वीर पूरे देश की नहीं है।

 

देश के 4 राज्य ऐसे रहे हैं, जहां उन्हें अधिकतम 12.5 फीसदी वोट ही मिला। सबसे कम केरल में उन्हें 0.7 फीसदी मत ही मिले, जहां उन्हें एकमात्र विधायक ने वोट डाला। इसके अलावा तेलंगाना में भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में महज 2.6 फीसदी वोट ही पड़े। यहां टीआरएस की बड़े बहुमत के साथ सरकार है, जिसके नेता के. चंद्रशेखर राव ने यशवंत सिन्हा का समर्थन करने का ऐलान किया था।

इसके अलावा पंजाब में भी 7.3 फीसदी ही वोट मिले, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। इसके अलावा कांग्रेस के विधायकों ने भी यशवंत सिन्हा को ही वोट डाले और किसी भी तरह की क्रॉस वोटिंग नहीं हुई। ऐसा ही हाल दिल्ली का रहा है, जहां द्रौपदी मुर्मू 12.5 फीसदी वोट ही हासिल कर पाईं। तमिलनाडु जैसे राज्य में भाजपा की स्थिति काफी कमजोर है, लेकिन यहां वह द्रौपदी मुर्मू को 31 फीसदी वोट दिलाने में सफल रही है। इसकी वजह एआईएडीएमके की ओर से मिला समर्थन है। हालांकि दक्षिण भारत में भाजपा के लिए स्थिति 50-50 जैसी रही। केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में भले ही द्रौपदी मुर्मू को कम वोट मिले, लेकिन आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उन्हें बंपर समर्थन मिला। आंध्र में तो उन्हें 100 फीसदी वोट मिले हैं।

द्रौपदी मुर्मू को कुल 8 राज्यों में यशवंत सिन्हा के मुकाबले कम वोट हासिल हुए। इन 8 राज्यों में कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी की लीडरशिप वाले दिल्ली और पंजाब में भी उन्हें यशवंत सिन्हा के मुकाबले पिछड़ना पड़ा। वहीं केरल, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी उन्हें काफी कम वोट मिले हैं। इन सभी राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं।

इन तीन राज्यों में द्रौपदी मुर्मू को मिले 100 फीसदी वोट

हालांकि दिलचस्प आंकड़ा यह है कि तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम में द्रौपदी मुर्मू को 100 फीसदी वोट मिले हैं। खासतौर पर आंध्र प्रदेश में उन्हें इतने वोट मिलना अहम है क्योंकि यह भाजपा सत्ता में नहीं है। इसके बाद भी सत्ताधारी दल वाईएसआर कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी तेलगु देशम पार्टी के सभी विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के ही समर्थन का ऐलान किया था।

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