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पंजाब में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को हराने वालों के बारे में जानकर होगी हैरानी, जानें कौन है गुरमीत सिंह खुड्डियां और जगदीप कंबोज

करीब 3 दशकों में पहली बार ऐसा होगा जब बादल परिवार का कोई सदस्य पंजाब विधानसभा में नहीं पहुंचा। शिरोमणि अकाली दल के लिए भी यह काफी चौंकाने वाला परिणाम रहा।

 

पंजाब विधानसभा चुनाव के परिणाम से बादल परिवार को बड़ा झटका लगा है। शिरोमणि अकाली दल के मुखिया और पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल मुक्तसर जिले की अपनी पारंपरिक लंबी सीट से ‘आप’ के गुरमीत सिंह खुड्डियां से हार गए। 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल को खुड्डियां ने 11,396 मतों से हराया। जबकि प्रकाश सिंह बादल बेटे और फिरोजपुर के सांसद सुखबीर सिंह बादल फजिल्का जिले की जलालाबाद सीट से मैदान में उतरे थे। वह भी ‘आप’ के जगदीप कंबोज से 30,930 मतों के अंतर से हार गए।

पंजाब चुनाव के नतीजों से हर कोई हैरान रह गया क्योंकि यहां सियासत के तमाम दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। अब लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर बादल परिवार के दो दिग्गज नेताओं को हराने वाले आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कौन हैं और उनका बैकग्राउंड कैसा है। चलिए आपको इस बारे में बता देते हैं।

सुखबीर बादल को हराने वाले कंबोज का बैकग्राउंड

2017 में जलालाबाद की सीट पर सुखबीर बादल को भगवंत मान नहीं हरा पाए थे लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की टिकट पर जगदीप कंबोज गोल्डी ने सुखबीर बादल को मात दे दी। यूथ कांग्रेस के पदाधिकारी रहे गोल्डी पेशे से वकील हैं. 2017 में भी उन्होंने जलालाबाद से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। गोल्डी ने कहा कि कांग्रेस में पैसे पर टिकट मिलता है जबकि आम आदमी पार्टी में ऐसा नहीं है। एक रोचक संयोग है कि सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल दोनों हराने वाले आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने हाल में ही कांग्रेस पार्टी छोड़ी है। इस संयोग पर गोल्डी कम्बोज ने कहा कि चाचा-भतीजा ने मिलकर (गोल्डी और गुरमीत खुड्डियां) ने दोनों नेताओं को हरा दिया।

दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल को खुड्डियां ने हराया

पंजाब की सियासत के सबसे दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल को हराने वाले गुरमीत सिंह खुड्डियां अनुभवी नेता हैं, लेकिन चुनाव लड़ने का मौका पहली बार मिला और उन्होंने पांच बार सूबे के मुख्यमंत्री को हरा दिया। गुरमीत सिंह राजनीतिक परिवार से हैं। 59 साल के गुरमीत सिंह के पिता जगदेव सिंह अकाली दल मान की टिकट पर 1989 में फरीदकोट से सांसद चुने गए लेकिन शपथ के फौरन बाद रहस्यमयी तरीके से उनकी हत्या हो गई। तभी से गुरमीत सिंह का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। काफी समय कांग्रेस में रहने के बाद हाल में ही गुरमीत सिंह आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे।

दिलचस्प बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में गुरमीत सिंह लंबी से प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले थे लेकिन आखिरी समय में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावेदारी पेश कर दी। हालांकि कैप्टन अमरिंदर प्रकाश सिंह बादल को नहीं हरा पाए लेकिन इस बार गुरमीत सिंह ने यह करिश्मा कर दिखाया।

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