नए डीजीपी आरएस भट्टी ने सभी पुलिस अधिकारियों से अपराध रोकने का ङ्क्षसपल फार्मूला देते हुए कहा कि अपराधियों को दौड़ाओ तो वे अपराध कम करेंगे। अगर अपराधी बैठा होगा तो कुछ खुराफात सोचेगा ही।
अगर आप अपराधी को नहीं दौड़ाएंगे तो वह आपको दौड़ाएगा। चुन लो, दोनों में से क्या करना है? मैं देखना चाहता हूं कि आप अपराधियों को दौड़ा रहे हो या नहीं। अब मैं यह मानने को तैयार नहीं कि आप अपराधियों को दौड़ा नहीं सकते। हाट स्पाट चिह्नित करो। प्रिवेंशन आफ क्राइम (अपराध नियंत्रण) यही है। इसके लिए आपराधिक संगठनों का प्रोफाइल रखिए। उनके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
डीजीपी का पद संभालने के बाद भट्टी बुधवार को पहली बार औपचारिक रूप से सभी पुलिस अधिकारियों को एक साथ संबोधित कर रहे थे। पुलिस मुख्यालय के डीजी एवं एडीजी रैंक के अधिकारियों के अलावा सभी रेंज के आइजी, डीआइजी, एसपी, डीएसपी और थानेदार भी आनलाइन कार्यक्रम से जुड़े थे।
डीजीपी ने कहा कि मैं उन्हीं थानों में जाऊंगा, जहां अपराध अधिक हो रहा है। मैं जिलों में जाने का कार्यक्रम बना रहा हूं। वहां पुलिस सभा भी करेंगे। पुलिस लाइन भी जाएंगे. थानाध्यक्षों से बात करेंगे। आपकी कठिनाइयां भी समझेंगे। जहां तक अनुसंधान की बात है, तो बहुत विलंब है। आपको समय से अनुसंधान करना है। इसके लिए सिस्टम बनाओ. आदमी की कमी है, साधन की कमी है, तो वह भी सहायता जरूर दी जाएगी।
डीजीपी ने पुलिस मुख्यालय के अफसरों को निर्देश दिया कि सीधे जिला कप्तानों यानी एसपी से कोई बात नहीं करेगा। पुलिस मुख्यालय आइजी-डीआइजी के माध्यम से फिल्ड से बात करेगा। रेंज आइजी-डीआइजी की शक्ति बढ़ाई जाएगी। पुलिस मुख्यालय से संभव नहीं कि सीधे 40 जिलों से बात की जाए। मैंने दो-चार एसपी से पूछा तो मालूम चला कि वह दिनभर वीसी ही करते रहते हैं। उसको फ्री छोड़ेंगे तो काम होगा। जिलों से वीसी नहीं होगी, कोई इमरजेंसी हुई तो अनुमति दी जाएगी। आप रेंज आइजी, डीआइजी से बात करें। एसपी को हक है, वह मुझसे सीधे बात कर सकते हैं। रूटीन काम आइजी-डीआइजी के जरिए होगा। कोई विशेष परेशानी या दुविधा हो तो हिचकिचाइए नहीं, सीधे मुझ तक आइए। मैं युवा अधिकारियों से मिलूंगा। आपको कोई ङ्क्षचता करने की जरूरत नहीं। आप काम करो बस। यही कांफिडेंस आप थाना प्रभारियों को दीजिए।
डीजीपी ने कहा, पुलिस मुख्यालय सिस्टम के टाप पर है। इसका एटीट््यूड सुधारने की जरूरत है। मैं फील्ड में काम कर रहे पुलिस अफसरों की कैसे मदद कर सकता हूं, यह सोच होनी चाहिए। मैं जब एसपी था तो मुझे यह कमी नजर आती थी। रिजल्ट आधारित काम होना चाहिए। चि_ी लिखना अनुपालन करना नहीं होता। रिजल्ट दिखना चाहिए। चि_ी लिखकर यह मत बताना कि मैंने काम कर दिया। वह कोई भी लिख सकता है। जो टास्क दिया गया, वह पूरा हुआ है या नहीं यह जरूरी है।
डीजीपी ने कहा कि विधि-व्यवस्था के लिए संतुलन जरूरी है। पहले से तैयारी रखिए कि कहां धरना प्रदर्शन है, कौन शांति भंग कर सकता है। कैलेंडर बनाओ कि अगले छह माह में कौन इवेंट आने वाले हैं। आइबी और स्टेट इंटेलिजेंस की रिपोर्ट पढ़ो। फोर्स की समय से तैनाती की जाए। ला एंड आर्डर की सफलता का मापदंड यही है कि बिना शांति भंग किए, सब कुछ नियंत्रित रहा। उन्होंने पुलिसकर्मियों को चेताते हुए कहा कि बिना कारण लाठीचार्ज और गलत व्यवहार, बर्दाश्त नहीं होगा।
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