पश्चिम बंगाल में राज्यपाल मुख्यमंत्री के बीच जारी तनातनी पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ (West Bengal Governor Jagdeep dhankhar) ने शुक्रवार को खुल कर बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल सॉफ्ट टारगेट होते हैं उन पर कुछ भी आरोप लगाना आसान होता है।
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की पीड़ा होती है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से कैसे लड़ सकते हैं। धनखड़ ने कहा कि मेरी कोशिश रहती है कि सरकार की मदद करूं, लेकिन एक हाथ से ताली नहीं बजती है। ये बातें उन्होंने राजस्थान विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल विधायकों की भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार में को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने हालात पर चिन्ता जताई।
देश पश्चिम बंगाल के हालातों पर आज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने खूब खरी-खरी सुनाई। विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल विधायकों की भूमिका विषय पर सेमिनार में को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने हालात पर चिंता जताई। धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल विधायकों के औजार हथियार सीमित है। आज राज्यपाल विधायक चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो चिंताजनक है। राष्ट्रपति राज्यपाल की शपथ में उन्हें संविधान बचाने की जिम्मेदारी का जिक्र है, लेकिन इस शपथ की पालना में अक्सर टकराव हो जाता है।
धनखड़ ने कहा कि आप अगर ऐसे राज्य के राज्यपाल हैं, जहां केंद्र में सत्ताधारी पार्टी की सरकार नहीं है तो यह चुनौती भी बड़ी हो जाती है। ऐसे में आप सॉफ्ट टारगेट हो सकते हैं। आप पर कई तरह के आरोप लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात से पीड़ा होती है कि मुख्यमंत्री राज्यपाल सार्वजनिक रूप से आखिर कैसे लड़ सकते हैं? मेरी कोशिश रहती है कि सरकार की मदद करूं लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि मेरा यह मानना है राज्यपाल संवैधानिक पद पर जितने भी लोग हैं, उनको संविधान के अलावा कोई काम नहीं देना चहिए। उन्होंने आगे कहा कि कानून में राज्यपाल को विशेष अधिकार प्राप्त है, उनमें से एक काम कुलपतियों की नियुक्तियों का है, जिसमें टकराव स्वाभाविक है। कानून में राज्यपाल को अधिकार दिया गया है, लेकिन जनमत सीएम के साथ है, लिहाजा टकराव के हालात बनते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे सामने जब कोई मुद्दा आता है तो मैं अपने विवेक से काम करता हूं। लेकिन मुख्यमंत्री का सुझाव आता है तो मैं दिमाग नहीं लगाता वो जिन नामों का सुझाव देते हैं, उसे मानता हूं। बावजूद इसके राज्यपाल को खामियाजा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 25 कुलपति बिना मेरी जानकारी के लगा दिए गए।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल पद पर बैठा व्यक्ति बिना रीढ़ की हड्डी के नही हो सकता। मैंने मुख्यमंत्री को बुलाया कहा कि आप देश की बड़ी नेता हैं। केंद्र मुझे जो भी सुझाव देगा बहुत गंभीरता से लूंगा मेरा मानस रहेगा कि उसके अमल करूं।
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