भारत में भी तुर्की की तरह भयानक भूकंप आ सकता है। यह बड़ा भूकंप हिमालयी रेंज में कभी भी आ सकता है। इस बात का दावा नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी NGRI के वैज्ञानिकों ने किया है।
इस भूकंप की तीव्रता काफी हो सकती है। जो पूरे हिमालयी रीजन में भारी तबाही ला सकता है। NGRI ने यह भी कहा है कि संरचनाओं को यदि मजबूत किया जाए तो जान माल की क्षति को कम किया जा सकता है। हमें मजबूत निर्माण की आवश्यकता है। क्योंकि तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप का कारण औसत स्तर का निर्माण है।
जानकारी के अनुसार, हैदराबाद स्थित एनजीआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पूर्णचंद्र राव का कहना है कि धरती की परत कई प्लेट्स से मिलकर बनी है और इन प्लेट्स में लगातार विचलन होता रहता है। भारतीय प्लेट्स हर साल 5 सेंटीमीटर तक खिसक गई हैं और इसकी वजह से हिमालय क्षेत्र में काफी तनाव बढ़ गया है। इसी के चलते हिमालय क्षेत्र में भारी भूकंप आ सकता है।
डॉ. पूर्णचंद्र राव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, नेपाल के पश्चिमी हिस्से और उत्तराखंड में भूकंप आ सकता है। डॉ. राव ने कहा कि रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 8 रह सकती है। डॉ. राव ने कहा कि तुर्की में आए भूकंप में इतनी भारी संख्या में लोगों की मौत की वजह औसत निर्माण रहा। उन्होंने कहा कि हम भूकंपों को नहीं रोक सकते, लेकिन सरकार की गाइडलाइन का पालन करके मजबूत इमारतों के निर्माण किए जाने चाहिए।
भूगोल की भाषा में कहा जाए तो हिमालय नीवन वलित पर्वत हैं। इनका निर्माण अभी भी हो रहा है। ये हर साल करीब 5 मिलीमीटर की दर से बढ़ रहे हैं। इस हिसाब से एक हजार साल में 5 मीटर और 10 हजार साल में 50 मीटर। पहले से ही हिमालय क्षेत्र भूकंप को लेकर संवेदनशील रहा है। हाल के दिनों में इस इलाके में कई छोटे-छोटे भूकंप आए हैं जो यह संकेत दे रहे हैं कि इस इलाके में जमीन के भीतर कई ऐसी चीजें हो रही हैं, जो भविष्य में किसी बड़े भूकंप का कारण बन सकती हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के प्रमुख वैज्ञानिक अजय पॉल ने बताया है कि भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स के टकराने से हिमालय क्षेत्र अस्तित्व में आया। उनका कहना है कि यूरेशियन प्लेट के भारतीय प्लेट पर पड़ रहे दबाव से भारी ऊर्जा इस इलाके में पैदा होती है और वही ऊर्जा भूकंप के जरिए जमीन से निकलती है।
हिमालय रीजन में पिछले 150 सालों में 4 बड़े भूकंप आ चुके हैं। इनमें साल 1897 में शिलॉन्ग का भूकंप, 1905 में कांगड़ा का भूकंप, 1934 में बिहार-नेपाल का भूकंप और 1950 में असम का भूकंप शामिल है। इनके अलावा साल 1991 में उत्तरकाशी में, 1999 में चमोली में और 2015 में नेपाल में भी बड़ा भूकंप आया था। दरअसल, हिमालय तीन श्रेणियों में बंटा हुआ है। ग्रेटर हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक पर्वत श्रेणियां।
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