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योगी आदित्यनाथ ने कहा भारतीय परंपराओं की वैश्विक पहचान में सेक्युलरिज्म सबसे बड़ा खतरा

लखनऊ: 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार (6 मार्च) को कहा कि भारत की परंपराओं को विश्व में पहचान दिलाने में धर्मनिरपेक्षता (Secularism) सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मानसिकता से बाहर आने और इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए “शुद्ध और स्वस्थ” प्रयासों की जरूरत है.

मुख्यमंत्री ने कंबोडिया के प्रसिद्ध अंगकोर वाट मंदिर परिसर की अपनी यात्रा के बारे में टिप्पणी की और एक युवा टूरिस्ट गाइड से हुई बातचीत के बारे में बताया, जिसमें उसने सीएम से कहा था कि वह बौद्ध है लेकिन बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म से ही हुई थी.

योगी आदित्यनाथ ने ‘अयोध्या शोध संस्थान’ द्वारा तैयार ‘ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण’ के ई-पुस्तक प्रारूप के विमोचन कार्यक्रम में कहा, “कम्बोडिया में युवा लड़का जानता है कि वह बौद्ध है लेकिन यह भी जानता है कि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति कहां से हुई है और वह अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है… लेकिन अगर आप यही बात भारत में कहेंगे तो कई लोगों की ‘धर्मनिरपेक्षता’ संकटग्रस्त हो जाएगी. यह शब्द ‘धर्मनिरपेक्षता’, भारत की सदियों पुरानी परंपराओं के प्रचार और उन्हें विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने में सबसे बड़ा रोड़ा है. हमें इससे बाहर आना होगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर शुद्ध और स्वस्थ तरीके से प्रयास करने होंगे.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ वर्गों की “संकीर्णता और संकुचित मानसिकता” ने देश को इतिहास में उसके उचित गौरव प्राप्त करने से वंचित कर दिया है. उन्होंने कहा, “जो लोग अपने फायदे के लिए जनता को गुमराह कर रहे हैं और देश के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. जो लोग पैसे के लिए भारत के बारे में गलत प्रचार कर रहे हैं, उन्हें दंड भुगतना पड़ेगा.”

बतौर मुख्यमंत्री, महाकाव्य रामायण और महाभारत जीवन जीने की अच्छी और बड़ी सीख देते हैं. उन्होंने कहा, “हिंदू महाकाव्यों की कहानियां हमें एक बेहतर भारत की कल्पना करने में मदद करती हैं.”

मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों से इनकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, “अभी भी कुछ लोग थे जो अयोध्या में भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे.”

उन्होंने कहा, “जब राम जन्मभूमि आंदोलन सक्रिय था, तब भारत के कई इतिहासकारों ने इस पर कई सवाल उठाए, यहां तक ​​कि यह भी कहा गया कि यह वह अयोध्या नहीं है, जहां राम का जन्म हुआ था. उन्होंने अयोध्या पर भी संदेह पैदा करने की कोशिश की. इसी मानसिकता… इसी मानसिकता ने भारत को सदियों से इसकी महिमा से दूर रखा है.”

योगी आदित्यनाथ ने प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय के संदर्भ में पाकिस्तान का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, “तक्षशिला को देखें, इसका नाम ‘भारत’ के बेटे के नाम पर रखा गया था, लेकिन हम इसके बारे में भूल गए. आज पाकिस्तान एक अलग राजनीतिक इकाई के रूप में भले हो लेकिन सच्चाई यह है कि 1947 से पहले यह भारत का एक हिस्सा था और भगवान राम ने अपने समय में अपने भाई के बेटे को वहां का शासक बनाया था, जिसने भारत की सीमाओं का विस्तार किया था.

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