राज्यसभा में गूंजा लालू के नाम – अमित शाह ने कहा “गोधरा कांड को दुर्घटना बताने की हुई थी साजिश कहावत है राजनीति में मुद्दे कभी भी मरा नहीं करते। समय पड़ने पर कब जिंदा हो जाये इसका पता नहीं।
बुधवार को राज्यसभा में न केवल 2002 में हुए गोधरा कांड का ज़िक्र आया बल्कि लगे हाथ गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर गोधरा ट्रेन कांड को दुर्घटना बताने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया। मामले की जांच के अलावा इसकी जांच के लिए एक नई समिति नियुक्त करने की साजिश की गई।भाजपा सांसद बृजलाल ने क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन विधेयक पर एक बहस के दौरान गोधरा मुद्दे का उल्लेख किया और इस घटना की जांच के लिए सितंबर 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा यूसी बनर्जी आयोग के गठन पर सवाल उठाया।
इधर अपने नेता पर हमला होते देख आरजेडी सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने कहा कि ऐसी कोई भी घटना, चाहे वह कश्मीर में हुई हो या गोधरा में या दिल्ली में, “हम सभी सामूहिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार हैं … आप इसे किसी पर दोष नहीं दे सकते।” इस पर सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने उठकर कहा, शायद झा ने लाल का भाषण नहीं सुना है, जिन्होंने कुछ भी अतार्किक नहीं कहा है। शाह ने कहा, “उस समय के रेल मंत्री ने उस घटना को अलग एंगल देने की कोशिश की थी जिसमें लोगों को जिंदा जला दिया गया था।”
लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बिना शाह ने कहा कि उन्होंने इस तथ्य को जानने के बावजूद कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा जांच चल रही थी, उन्होंने रेलवे अधिनियम का उपयोग करके एक नई समिति नियुक्त की। शाह ने कहा, “समिति ने सुझाव दिया था कि यह एक दुर्घटना थी और साजिश नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।” इसलिए उन्होंने (बृज लाल) कहा कि इसे एक अलग एंगल देने का प्रयास किया गया था।इस कमेटी से कुछ भी सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा, “अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। यह उन सात आरोपियों को बचाने की कोशिश थी जिन्होंने लोगों की हत्या की थी। बृजलाल हमें यही बताना चाहते थे।”
गौरतलब है कि गोधरा की घटना को लेकर राज्यसभा सांसद और यूपी के पूर्व डीजीपी रहे बृजलाल ने जिक्र किया कि कैसे साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में 27 फरवरी 2002 को आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे।, जिसके बाद 2004 में मनमोहन की सरकार में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने जांच के लिए यूसी बनर्जी आयोग का गठन किया था और इसने 17 जनवरी, 2005 को एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि आग दुर्घटनावश लगी थी और कोच में आग नहीं लगाई गई थी।”
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि कोच में साधु थे जो खरपतवार धूम्रपान कर रहे थे और उसी से गलती से आग लग गई। उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी लाल ने कहा कि निचली अदालत ने मामले में 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और कुछ विपक्षी दलों पर आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखने का आरोप लगाया था।बाद में उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था जबकि 20 अन्य की पूर्व उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। उनके इस बयान के बाद सदन में हड़कंप मच गया।
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