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BJP Journey: बीजेपी का 1 से 300 सांसदों का सफर, जानें कैसे बनी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी

देश के राजनीतिक इतिहास में आज की तारीख खास है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आज अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है।

 

भाजपा की स्थापनी 1980 में आज ही के दिन हुई थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जन संघ से इस नई पार्टी का जन्म हुआ। 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ का कई अन्य दलों से विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ। पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीन ली और 1980 में जनता पार्टी को भंग करके भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गई।

भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी

साल 2015 में लगभग 9 करोड़ सदस्यों के साथ भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के तौर पर स्थापित हो गई थी। ये संख्या चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों से भी अधिक है, जहां एकल-दलीय प्रणाली है। न केवल सदस्यों के मामले में बल्कि भाजपा आज कई मायनों में अपने शीर्ष पर है। फिर बात चाहे उन राज्यों की संख्या की हो जहां भाजपा का शासन है या फिर विधान सभाओं और लोकसभा में सदस्य की संख्या की, भाजपा हर मामले में सबसे आगे है।

इतना ही नहीं भाजपा ने हाल में 1988 के बाद राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर इतिहास रच दिया है। वर्तमान में पार्टी के राज्य सभा में 101 सांसद हैं, जो राज्यों में उसकी ताकत को दिखाता है।

आज के तारीख की बात करें तो भाजपा 28 में से 16 राज्यों में सीधे या गठबंधन के द्वारा सत्ता में है। लोकसभा में इसके अपने 301 सांसद हैं। पार्टी के बनने के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भाजपा के सदस्य लोकसभा में हैं। साथ ही पार्टी ने अपने दम पर दो बार पूर्ण बहुमत हासिल किया है।

पहले चुनाव में जन संघ को मिले थे 3.06 फीसदी वोट

पहले आम चुनाव में जनसंघ को केवल 3.06 फीसदी वोट मिले थे और श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत पार्टी के तीन नेता संसद पहुंचे थे। हालांकि, 1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कश्मीर में मृत्यु हो गई।

साल 1967 तक जनसंघ ने कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने के सफर की शुरुआत कर दी थी। पार्टी को तब 35 सीटें मिली थी। एक साल बाद 13 फरवरी 1968 को अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। हालांकि 1980 में जनता पार्टी सिर्फ 31 सीटें जीत सकी थी। इसके बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद ने फैसला किया कि उसके सदस्यों को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से नाता तोड़ना चाहिए।

यह पार्टी के कई नेताओं और खासकर जनसंघ के पुराने सदस्यों को नागवार गुजरा और उन्होंने अलग होकर भाजपा की स्थापना का फैसला किया। अटल बिहारी वाजपेयी भी इनमें से एक थे। वे भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष (1980-86) चुने गए।

1984 में भाजपा ने लड़ा पहला लोकसभा चुनाव

भाजपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के तुरंत बाद लड़ा था। कांग्रेस ने हालांकि इंदिर गाधी की मृत्यु के बाद हुए इस चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की और भाजपा को केवल दो सीटें मिली। हालांकि अगले केवल पांच साल में, भाजपा ने अपनी स्थिति में सुधार किया और 1989 में 85 सीटें जीतीं। इसके बाद से भाजपा तेजी से आगे बढ़ रही है।

मई 2014 भाजपा के लिए ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़े। भाजपा ने इसके बाद सदस्यता अभियान शुरू किया और दुनिया में नंबर एक पार्टी बन गई। देश के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर शासन करने के बावजूद भाजपा के सामने हालांकि आज के दौर में पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने की चुनौती है।

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