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बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि पिता का डांटना इतनी गंभीर नहीं था कि बेटे ने पिता की ही हत्या कर दी जाए

पिता की हत्या के मामले में आजीवन सजा के खिलाफ दोषी बेटे ने याचिका दाखिल की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पिता का डांटना इतनी गंभीर नहीं था कि बेटे ने पिता की ही हत्या कर दी जाए।

 

बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने अपने ही पिता की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए और आजीवन कारावास की सजा पाए एक बेटे की अपील खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने कहा कि पिता ने सिर्फ अपने बेटे को डांटा था। यह इतना गंभीर मामला नहीं था कि जिसके लिए आरोपी ने अपने ही पिता को मार डाला। अदालत में 28 साल के नेताजी नानासाहेब टेली की ओर से दायर एक अपील पर सुनवाई हो रही थी।

टेली कोल्हापुर और शिरडी में पुजारी के रूप में काम करता था। 2 दिसंबर 2013 को वह महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के तेर गांव में घर आया था। रात करीब 9 बजे टेली ने खाना खाया। खाने के बाद जब वह घर से बाहर जाने लगा तो उसके पिता नानासाहेब ने कहा कि चूंकि वह बेरोजगार है, इसलिए उसे घर नहीं आना चाहिए। टेली पर आरोप है कि उसने अपने पिता के गाल पर थप्पड़ मारा था। फिर टेली ने चाकू निकाला और पिता के छाती और पेट पर वार कर दिया। इस दौरान शोर सुनकर टेली की बहनें बाहर आई जिसके बाद वह फरार हो गया।

नानासाहेब को तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जब टेली पकड़ा गया तो उसके निशानदेही पर खून से सने कपड़े और चाकू को बरामद किया गया जिसे उसने एक मंदिर में छिपाकर रखा था। एक साल चले मुकदमे के बाद टेली को उस्मानाबाद सेशन कोर्ट ने दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

टेली के वकील एबी काले ने कोर्ट को बताया कि नानासाहेब की दो पत्नियां थीं। पहली पत्नी से टेली समेत तीन बच्चे हुए। टेली और उसके भाई और बहन को अपने पिता से कुछ नहीं मिला, जबकि नानासाहेब ने अपनी दूसरी पत्नी के दो बेटों के नाम पर पूरी खेती की जमीन ट्रांसफर कर दी थी। काले ने कहा कि जब भी टेली घर जाता तो वह संपत्ति में अपना हिस्सा मांगता था जिसे नानासाहेब और उनके दूसरी पत्नी के दोनों बेटे इनकार कर देते थे।

काले ने इस बात पर जोर दिया कि जब घटना हुई थी तब गांव में लोड शेडिंग थी, इसलिए पूरी तरह से अंधेरा था। काले ने कहा कि दोनों बहनों ने घटना को नहीं देखा है। अन्य गवाहों के बारे में भी बात करते हुए काले ने तर्क दिया था कि टेली को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह घटना गंभीर और अचानक उकसावे के कारण जोश की गर्मी में बिना पूर्व नियोजित के हुई थी। उन्होंने कहा कि यह हत्या का नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या का मामला है।

अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया कि टेली ने उससावे में वारदात को अंजाम दिया था। कोर्ट ने माना कि हमला हत्या के इरादे से की गई थी। अदालत ने कहा, “टेली ने न केवल पिता के गाल पर थप्पड़ मारा है, बल्कि जब पिता ने गाल पर थप्पड़ मारने के बारे में सवाल किया, तो उसने हथियार निकाला और पिता पर 10 से अधिक बार वार कर दिया। मृतक के शरीर पर आए गहरे घाव को देखकर हम भी हैरान हैं।

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