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रूस की सेना ने पहली बार भारतीयों को यूक्रेन से निकालने में की मदद

यूक्रेन के खेरसॉन शहर में फंसे तीन भारतीयों को रूसी सेना की मदद से निकाला गया। इन तीन भारतीयों में एक छात्र और दो बिजनेसमैन थे, सभी को मॉस्को के रास्ते निकाला गया है।

 

रूस के कब्जे में आ चुके दक्षिण यूक्रेन के खेरसॉन शहर में फंसे तीन भारतीयों को रूसी सेना की मदद से निकाला गया है। यूक्रेन पर हमले के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब रूसी सेना ने आगे बढ़कर भारतीयों को इस तरह सुरक्षित निकालने में मदद की है। मॉस्को में भारतीय दूतावास ने सिम्फरोपोल (क्रीमिया) और मॉस्को के रास्ते इन तीन भारतीयों- एक छात्र और दो व्यवसायियों को निकालने में अहम भूमिका निभाई।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मॉस्को में दूतावास के एक राजनयिक ने बताया, ‘हमने सिम्फरोपोल (Simferopol) के लिए निकली बसों के एक काफिले में उनके सवार होने की सुविधा मुहैया कराई और फिर उन्हें ट्रेन से मास्को आने में मदद की। इसके बाद वे मंगलवार को फ्लाइट से रवाना हुए। इसमें एक छात्र था जो चेन्नई जा रहा है। दो व्यवसायी थे जो अहमदाबाद जा रहे हैं।’

यह पहली बार है जब रूसी सेना ने यूक्रेनी क्षेत्र से भारतीयों को निकालने में मदद की है। इससे पहले 22000 से अधिक भारतीयों को युद्धग्रस्त इलाके से निकाला जा चुका है। इसमें से 17,000 से अधिक को भारत सरकार द्वारा विशेष उड़ानों द्वारा निकाला गया। इन लोगों में से एक बड़ा तबका सुरक्षित निकलने में कामयाब रहा क्योंकि यूक्रेन और रूस दोनों और से युद्धविराम की की घोषणा की गई।

पहली बार रूस के रास्ते यूक्रेन से सुरक्षित निकले भारतीय

यूक्रेन में फंसे लगभग सभी भारतीय पश्चिमी सीमाओं से – पोलैंड, हंगरी, रोमानिया और स्लोवाक गणराज्य के रास्ते युद्धग्रस्त क्षेत्र से निकले। पूर्वी सीमा और रूस के रास्ते भारतीयों के सुरक्षित निकलने का यह पहला मामला है। रूस के रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि उसके सैनिकों ने खेरसॉन के पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है। 3 मार्च को इसी नाम के प्रांत की राजधानी पर कब्जा कर लिया गया था।

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘ऑपरेशन गंगा’ में शामिल दूतावासों के अधिकारियों और सामुदायिक संगठनों से संवाद किया। यूक्रेन, पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी में भारतीय समुदाय और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने निकासी अभियान का हिस्सा होने के अपने अनुभव सुनाए और इस मिशन में अपना योगदान देने पर संतोष व्यक्त किया।

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