रीता बहुगुणा जोशी ने बाद में इस सीट से इस्तीफा देकर प्रय़ागराज से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और विजयी रही थीं। वे इस बार इसी सीट से अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट मांग रही हैं। बेटे को टिकट देने के लिए रीता बहुगुणा जोशी ने अपने सांसद पद से इस्तीफा देने तक की पेशकश कर दी है। इस तरह भाजपा नेतृत्व के सामने अपर्णा यादव और रीता बहुगुणा जोशी के बीच तालमेल बिठाना कठिन हो सकता है। लेकिन इसका हल भाजपा एक उम्मीदवार को मैदान में उतारकर, तो दूसरे को विधान परिषद के जरिए सदन में लाकर कर सकती है।
माना जा रहा है कि भाजपा अपर्णा यादव को चुनाव में उतारने की रणनीति अपनाएगी। इससे बार-बार अपर्णा यादव के जरिए मीडिया में सुर्खियां मिलती रहेंगी और मुलायम परिवार में टूट होने का मनोवैज्ञानिक संदेश दिया जाता रहेगा। इसका अखिलेश यादव को नुकसान होगा। हालांकि, अखिलेश यादव ने भाजपा पर यह कहकर हमला करने की कोशिश की है कि भाजपा को उनके परिवार की चिंता ज्यादा है।
सपा के एक बड़े नेता के अनुसार, अपर्णा यादव मुलायम परिवार का बड़ा नाम नहीं हैं। वे राजनीतिक तौर पर अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव की तरह सक्रिय नहीं रही हैं, लिहाजा उनके भाजपा में जाने से परिवार को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। वहीं, नेता के दावे के अनुसार, भाजपा के दो बड़े नेता अभी भी सपा से संपर्क में हैं और उनके सपा में आने का फॉर्मूला तय कर पार्टी इसका एलान करेगी। यह भाजपा को अपर्णा यादव प्रकरण का जवाब होगा। भाजपा के कई नेताओं को सपा से जोड़कर अखिलेश यादव ने इसकी शुरुआत भी कर दी है।
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