नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा पारित विवादित कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ डालीं और चेतावनी देते हुए कहा कि आप ‘अंग्रेजों से भी बदतर’ न बनें. किसानों के विरोध प्रदर्शन पर चर्चा के लिए बुलाए गए दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में कड़ी टिप्पणी करते हुए केजरीवाल ने केंद्र से यह भी पूछा कि ”कोरोना महामारी के दौरान इन कानूनों को पारित करने की जल्दी क्या थी.”
इससे पहले आम आदमी पार्टी के विधायकों ने भी कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ीं. सत्ताधारी पार्टी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में दिख रहा है कि दिल्ली सरकार ने केंद्र के कानूनों के मुकाबले में अपने तीन कानूनों को सदन में रखा और ‘आप’ के महेंद्र गोयल और सोमनाथ भारती ने कृषि कानूनों की प्रतियों को दो टुकड़ों में फाड़ दिया.
महेंद्र गोयल और सोमनाथ भारती ने कहा, ‘हम इन काले कानूनों को नकारते हैं जो किसानों के खिलाफ हैं.’
विधानसभा में केजरीवाल ने कहा, ‘इन तीनों कानूनों को फाड़ते हुए दर्द हो रहा है. लेकिन देश का किसान ठंड में सड़कों पर है तो मैं उनकी पीड़ा के साथ खड़ा हूं. अभी तक 20 से ज़्यादा किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं. केंद्र से पूछना चाहता हूं और कितनी जान आप लोगे उसके बाद देश के किसानों की बात सुनोगे. 1907 में हूबहू ऐसा ही आंदोलन हुआ था, पगड़ी सम्भाल जट्टा. 9 महीने तक ये आंदोलन अंग्रेज़ों की खिलाफ चला था. उस आंदोलन की लीडरशिप भगत सिंह के पिता और चाचा ने की थी. उस वक्त भी अंग्रेज़ सरकार ने कहा था इसमे थोड़े बदलाव कर देंगे. लेकिन किसान डटे रहे. भगत सिंह ने भी क्या इसीलिए कुर्बानी दी थी कि आज़ाद भारत में किसानों को इस तरह आंदोलन करना पड़ेगा.’
केजरीवाल ने कहा, ‘केंद्र का कहना है कि किसान को कानून समझ नहीं आ रहा. आज योगी आदित्यनाथ यूपी में बड़ी रैली कर रहे हैं. मैं सुन रहा था. वो कह रहे हैं तुम्हारी ज़मीन नहीं जाएगी, मंडी बन्द नहीं होगी, ये फायदा है क्या. किसी से पूछो तो एक लाइन रटा रखी है किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं.
आज धान का एमएसपी 1868 है. यूपी और बिहार में ये 900-1000 का बिक रहा है. यूपी का किसान कहां जाकर बेच आये कि इससे ज़्यादा मिल जाये. किसान कहीं भी नहीं, कौन बेचेगा ये सबको पता है. कहा जा रहा है कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है. किसानों को नहीं भाजपाइयों को भ्रमित किया जा रहा है. ये सारे भाजपाइयों को अफीम खिला दी गई है. एक फायदा नहीं पता था योगी आदित्यनाथ को. अगर किसानों की वकालत नहीं करोगे तो किसकी करोगे, दलालों की. ये कानून किसानों के लिए नहीं बनाए गए, बीजेपी की फंडिंग कराने के लिए बनाए गए हैं.