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 एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल में महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। सीमांचल में दो दिवसीय दौरे के दौरान ओवैसी ने किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया के विभिन्न इलाकों का दौरा किया। ओवैसी ने यह ऐलान कर दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी बिहार के हर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

 

सीमांचल दौरे के पहले दिन ओवैसी ने यह कहकर महागठबंध दलों की धडकनें बढ़ा दी है कि उनसे गलती हुई है कि वे सिर्फ सीमांचल तक ही सीमित होकर रह गए थे, लेकिन अब उस गलती को सुधारने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा है कि सीमांचल में वे हमेशा से चुनाव लड़ते रहे हैं और आगे भी लड़ेंगे। लेकिन अब बिहार के हर हिस्से में जाएंगे और हर सीट से चुनाव लड़ेंगे।

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ओवैसी ने कहा है कि यह लोकसभा या विधानसभा चुनाव का मुद्दा नहीं है बल्कि इंसाफ का मामला है। ओवैसी के द्वारा बिहार के अन्य सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान से राजद और जदयू के माथे पर बल पडने लगा है। दरअसल, ओवैसी की पार्टी का मुख्य जनाधार अल्पसंख्यक वोटरों को माना जाता है, जिस पर अभी तक बिहार में राजद और जदयू अपने पाले में रखती आई है।

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जानकारों का मानना है कि अगर ओवैसी की पार्टी बिहार विधानसभा और लोकसभा के चुनाओं में सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारती है तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को होगा। कारण कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अल्पसंख्यक वोटों में ही सेंधमारी करेगी, जिससे सीधा नुकसान महागठबंधन को होना तय है। इसका उदाहरण अभी हाल ही में हुए गोपालगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान दिखा।

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ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ने करीन 25 हजार वोट अपने पाले में कर लिए जिससे राजद प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा। अगर यही ट्रेंड आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रहा तो ओवैसी की पार्टी के कारण महागठबंधन को भारी नुकसान उठाना पडेगा और इसका सीधा लाभ भाजपा नीत एनडीए उम्मीदवारों को मिल सकता है। यही कारण है कि ओवैसी के ऐलान ने महागठबंधन के नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है।