केरल के तिरुवनंतपुरम की आर्या राजेंद्रन ने देश की सबसे युवा महापौर (मेयर) बनकर इतिहास रच दिया है। दरअसल आर्या को जन्म घुट्टी के रूप में ही सियासी संस्कार मिले थे। इसी के चलते 21 साल की आयु में वह इस पद पर पहुंच गई हैं। वह अभी गणित विषय से बीएससी कर रही हैं।
आर्या के पिताजी एक इलेक्ट्रिशियन हैं और उनका पूरा परिवार सीपीएम का समर्थन करता है। हाल ही में हुए चुनावों में वाम गठबंधन एलडीएफ ने 100 वार्ड में से 51 जीत हासिल की थी।
माता-पिता सीपीएम के सदस्य
आर्या को पार्टी द्वारा तिरुवनंतपुरम नगर निगम के अध्यक्ष के तौर पर नामित किया जाना है। आर्या को पहले लगा कि उनके दोस्त उनके साथ किसी तरह का कोई मजाक कर रहे हैं, लेकिन पार्टी सचिवालय से उनके पास फोन आया तब उन्हें इस जीत का अहसास हुआ। आर्या की माता श्रीलता एलआईसी एजेंट हैं और भाई मध्य पूर्व एशिया में ऑटोमोबाइल इंजीनियर है, ये दोनों भी इसी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं।
बचपन से ही राजनीति से जुड़ाव
आर्या राजेंद्रन बचपन से ही राजनीति से जुड़ी हुई है। वह छह साल की उम्र में ही पार्टी से जुड़े बच्चों के संगठन बाला संगम की सदस्य बन गई थीं और आज इसकी प्रदेश अध्यक्ष हैं। दो साल तक आर्या बाला संगम की अध्यक्ष रहीं। इसके अलावा आर्या स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की पदाधिकारी भी हैं।
आर्या का मानना है कि एक बार मेयर की पोस्ट पर कार्यरत होने के बाद वो अपनी पढ़ाई पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाएंगी। आर्या ने कहा कि उनके दोस्त और अध्यापक वास्तव में काफी मदद कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि वो कैसे ना कैसे अपनी पढ़ाई को सुचारू रूप से आगे चलाएंगी।
स्वास्थ्य मंत्री केके शैलेजा को मानती हैं अपना आदर्श
आर्या का परिवार तिरुवनंतपुरम के एक छोटे से घर में रहता है और हर महीने 6,000 रुपये का किराया देता है। आर्या ने कहा कि मेरे परिवार वालों ने राजनीति में जाने के फैसले पर कभी आपत्ति नहीं जताई। मैं केरल राज्य के लगभग सभी जिलों में दौरा कर चुकी हूं और केरल के बाहर अभी तक सिर्फ मुंबई का दौरा किया है।
आर्या राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलेजा को अपना आदर्श मानती हैं, उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान शैलेजा ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा मलयालम कवियित्री सुगतकुमारी और लेखक के आर मीरा को भी वो अपना आदर्श मानती हैं।