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सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार से पूछा है कि मोरेटोरियम की अवधि के लिए क्रेडिट कार्ड यूजर्स को चक्रवृद्धि ब्याज(ब्याज पर ब्याज) का लाभ क्यों मिलना चाहिए? शीर्ष अदालत ने कहा कि क्रेडिट कार्ड कार्ड यूजर्स का इस्तेमाल खरीदारी के लिए किया है न कि उन्होंने लोन लिया था।

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह बात तब कही जब केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि क्रेडिट कार्ड धारकों को भी अनुग्रह राशि के भुगतान के मैसेज मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं भी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करता हूं और मुझे ऐसा मैसेज मिला है। इस पर पीठ ने कहा कि क्रेडिट कार्ड यूजर्स ने चीजें खरीदने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया। यह लोन नहीं है। उन्हें मोरेटोरियम का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि यह बैंकों की जिम्मेदारी है कि वह मोरेटोरियम अवधि के ब्याज पर ब्याज में छूट को कर्जदारों केखाते में जमा कराए। इसके लिए बैंकों को याद दिलाने की जरूरत नहीं है। यह लाभ कोरोना काल से पहले के डिफॉल्टरों के लिए उपलब्ध नहीं है।

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सॉलिसिटर जनरल मेहता ने नौ अक्टूबर को दाखिल हलफनामे का हवाला दिया और सिलसिलेवार तरीके से पूरा ब्यौरा पेश किया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी राष्ट्रीय आपदा बन चुकी है और सरकार के साथ-साथ आरबीआई ने तमाम कारगर कदम उठाए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बैंक को पेमेंट प्लान का पुनर्गठन करने के लिए कहा गया है। इसकेलिए बैंकों ने कर्जदारों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना काल से पहले के डिफॉल्टरों को नई स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा। मेहता ने बताया कि जिन्होंने मोरेटोरियम अवधि में ईएमआई का भुगतान न करने वालों को सजा नहीं दी जाएगी, चाहे उन्होंने मोरेटोरियम का सदुपयोग किया या न किया हो।

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वहीं कई सेक्टरों की ओर से कहा गया कि उन्हें कोराना संकट केइस दौर में सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिली। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को संक्षेप में सुझाव आरबीआई और केंद्र सरकार के सामने पेश करने के लिए कहा है।

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