पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) चीफ और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने प्रदेश के पूंछ स्थित नवग्रह मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक किया था।
इसको लेकर कई मुस्लिम संस्था उनके विरोध में उतर आईं हैं. अलीगढ़ में भी थियोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व मुस्लिम धर्मगुरु प्रोफ़ेसर मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा है कि खुदा के अतिरिक्त जो किसी और की इबादत करता है या बुत पूजा करता है, वह इस्लाम से खारिज है। शिवलिंग पर जल चढ़ाना पूजा ही माना जाता है. जो पूजा करेगा, वह इस्लाम से खारिज हो जाएगा। उनको इस्लाम मे वापस आने के लिए दोबारा कई कार्य करने होंगे। महबूबा मुफ्ती ने इस्लाम के मालूमात के खिलाफ काम किया है।
प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद अली खान ने आगे कहा कि इस्लाम एक अल्लाह की इबादत के सिवा, मूर्ति पूजा की इजाजत नहीं देता है। ना ही कब्र को खुदा में शरीक मानकर उसकी इबादत करने की अनुमति देता है. ना शिवलिंग की पूजा करने इजाजत देता है। ना शिवलिंग पर जल चढ़ाने की इजाजत देता है, वह पूजा है. उन्होंने कहा कि, इसी प्रकार तुलसी की इबादत करना भी उसी में शामिल है। पीपल की इबादत करना, गाय की इबादत करना, या ऐसी किसी तस्वीर जिस की पूजा की जाती हो।रामचंद्र जी, सीता जी की या कृष्ण जी, यदि इनमें से किसी एक की पूजा करें या इबादत करें तथा वह शिवलिंग पर जल चढ़ाकर इबादत करें एक ही बात है।जो ऐसा करेगा वह इस्लाम की तालीमात के खिलाफ होगा।
उन्होंने कहा कि, मुसलमानों के घर पैदा होने से कोई मुसलमान नहीं होता और काफिर के घर या गैर मुस्लिम के घर पैदा होने से गैर मुस्लिम नहीं हो जाता।हर सूरत में उसे केवल अल्लाह की ही इबादत करनी है।उसमें ब्रह्म साहब की कलम को सजदा करेगा, तो वह भी काफिर है। यदि अजमेर या निजामुद्दीन को भी करेगा, तो भी काफिर है. एक अल्लाह के अलावा जिसकी भी पूजा करेगा, वह काफिर हो जाता है।