लंबे समय से चल रहे सियासी विवाद के बाद आज दिल्ली में मेयर पद के लिए वोटिंग होगी।
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच मेयर पद को लेकर काफी समय से खींचतान चल रही है और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव को लेकर रास्ता साफ हो गया है। ऐसे में आज सभी की निगाहें दिल्ली में वोटिंग पर रहेगी कि दिल्ली नगर निगम में मेयर पर भाजपा का कब्जा होगा या आम आदमी पार्टी का।
भाजपा का अपने 105 पार्षदों को निर्देश
भाजपा ने मंगलवार को अपने 105 पार्षदों को पार्टी कार्यालय में बुलाया था और बुधवार को होने वाले महापौर मतदान में हिस्सा लेने के लिए कहा था। बैठक में दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया कि भाजपा को भरोसा है कि महापौर के चुनाव में पार्टी 138 के जादुई आंकड़े को छूने में भी नाकाम रही तो भी उसके सदस्य को स्थायी समिति का अध्यक्ष चुन लिया जाएगा।
क्रॉस वोटिंग के आसार
आज होने वाले चुनावों में 6 पदों के लिए भाजपा ने 3 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वहीं आप ने 4 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। ऐसे में महापौर के साथ ही उप महापौर पद और स्थायी समिति के सदस्यों के लिए चुनाव होने की स्थिति में भाजपा और आप दोनों की तरफ से क्रॉस वोटिंग के आसार हैं। दोनों दलों के नेता एक-दूसरे दल के पार्षदों के संपर्क में हैं और अपने पक्ष में मतदान कराने का प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा को 104, आप को 134 और कांग्रेस को नौ सीटें मिलीं
7 दिसंबर को घोषित MCD चुनाव के नतीजों में भाजपा को 104, आप को 134 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं। 3 निर्दलीय भी चुने गए थे। बाद में 1 निर्दलीय उम्मीदवार आप में शामिल हो गया और वहीं एक अन्य निर्दलीय विधायक भाजपा में शामिल हो गया। अब दिल्ली नगर निगम में सिर्फ 1 निर्दलीय उम्मीदवार है। जब से 10 मनोनीत सदस्यों को सेंट्रल सिविल लाइंस और नरेला जोन में तैनात किया गया है, चुनावों में भाजपा का बहुमत 4 से 7 जोन तक बढ़ गया है। एल्डरमैन की तैनाती के बाद 8 जोन में आप को जो बहुमत मिला था, वह घटकर 3 हो गया।
मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकेंगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव में दिल्ली नगर निगम के मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकेंगे। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने स्थायी समिति के लिए 3 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और सभी को जिताने के लिए उसे अपने सभी पार्षदों के अलावा 3 अतिरिक्त वोटों की जरूरत है। किसी सदस्य को स्थायी समिति में स्थान पाने के लिए 36 मतों की जरूरत होती है। 105 सदस्यों वाली भाजपा को अपने तीनों सदस्यों को समिति में चुने जाने के लिए 108 पार्षद चाहिए।