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मणिपुर वायरल वीडियो मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि वह पहले दोनों पक्षों को संक्षेप में सुनेगा और फिर फैसला करेगा।

सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि 3 मई के बाद से, जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, कितनी FIR दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि वीडियो सामने आया है, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है, बल्कि अन्य महिलाएं भी हैं।

उन्होंने कहा कि यह कोई अकेली घटना नहीं है। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विस्तृत मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र बनाना होगा। इस तंत्र के द्वारा सभी मामलों का ध्यान रखा जाएगा। साथ ही सीजेआई ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ दरिंदगी के मामले में तत्काल न्याय होना चाहिए।

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दोनों पीड़ित महिलाओं की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह साफ है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही थी जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा की। उन्होंने जारी रखा कि पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ के पास ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वहीं किया जो उन्होंने किया। इसलिए कपिल सिब्बल ने बताया कि वे सीबीआई जांच और मामले को असम से बाहर ले जाने के खिलाफ हैं।

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सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने कभी भी मुकदमे को असम से बाहर ले जाने की याचिका नहीं की। वह बताए गए मामले को मणिपुर से बाहर भेजने की मांग करते हैं।

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ये है मामला

मणिपुर की दो महिलाओं को न्यूड परेड कराने और उनके साथ गैंगरेप के मामले का वीडियो 19 जून को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इस मामले के संबंध में पुलिस ने थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में आवेदन किया गया था।

सुप्रीम कोर्टे ने 20 जुलाई को इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिय था। सीजेआई चंद्रचूड़ ने केंद्र और मणिपुर सरकार को तत्काल उपाय, पुनर्वास और निवारक कदम उठाने के लिए शीर्ष अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया।