English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-10-17 122648

शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) आमने-सामने हैं। दोनों ही गुट दावा कर रहे हैं कि वह असली शिवसेना हैं। इस विवाद के बीच चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से पार्टी का नया नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर विकल्प मांगे थे।

 

दोनों पक्षों से विकल्प मिलने के बाद उन्हें अलग-अलग चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम दिया गया है। हालांकि यह स्थायी तौर पर नहीं है लेकिन उपचुनाव के मद्देनजर फिलहाल के लिए दोनों ही गुटों को अलग नाम और चुनाव चिन्ह मुहैया कराया गया है। एकनाथ शिंदे के गुट को तलवार और ढाल चुनाव चिन्हें आवंटित किया गया है। लेकिन अब इस चुनाव चिन्ह को लेकर सिख समुदाय ने विरोध किया है।च

Also read:  तुर्की और सीरिया में कुल 21000 से अधिक लोगों की मौत, भारत का भी एक नागरिक लापता

सिख समुदाय ने तलवार और ढाल चुनाव चिन्ह पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि यह खालसा पंथ का धार्मिक चिन्ह है। इससे पहले समता पार्टी ने उद्धव ठाकरे खेमे को मसाल चुनाव चिन्ह दिए जाने का विरोध किया था। गुरुद्वारा सखचंद बोर्ड नांदेड़ के पूर्व सचिव रंजीत सिंह कामथकर और स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने इसको लेकर चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा। जिसमे उन्होंने कहा कि यह तलवार और ढाल धार्मिक प्रतीक है। अगर चुनाव आयोग इसका संज्ञान नहीं लेता है तो हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे। हमारे धार्मिक गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ के धार्मिक चिन्ह के तौर पर इसे अपनाया था।

Also read:  चुनावों के बाद, एक नया रेजीडेंसी कानून जनसांख्यिकीय असंतुलन को दूर करेगा

कामथकर ने कहा मैं चुनाव आयोग के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि शिंदे खेमे को जो चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है वह भी धार्मिक है। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा। बता दें कि अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। ऐसे में शिवसेना के दोनों खेमे आमने-सामने हैं। दोनों ही खेमे इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि क्या चुनाव चिन्ह इस चुनाव चिन्ह को लेकर हो रहे विवाद का संज्ञान लेता है।

Also read:  दिल्ली पुलिस ने नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए शाहीन बाग में सुरक्षा मुहैया कराने में जताई असमर्थता