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केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को बॉम्बे हाई कोर्ट ने करारा झटका दिया है। अदालत ने उनके जुहू स्थित बंगले पर बने अवैध निर्माण को दो सप्ताह के अंदर गिराने का आदेश दिया है।

अदालत ने बीएमसी को अवैध निर्माण गिराने का आदेश देते हुए यह माना है कि बंगले के कुछ हिस्से के निर्माण में कोस्टल रेग्युलेशन जोन और फ्लोर स्पेस इंडेक्स का उल्लंघन किया गया है। जस्टिस आरडी धानुका और कमल खाता की बेंच ने कहा कि बीएमसी राणे परिवार की कंपनी के आवेदन को स्वीकार नहीं कर सकती, जिसमें यह मांग की गई है कि वह अनधिकृत निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दे। अदालत ने कहा कि यदि इसे मंजूरी दी जाती है तो फिर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण शुरू हो जाएंगे।

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अदालत ने बीएमसी को आदेश दिया है कि वह दो सप्ताह के अंदर अवैध निर्माण को गिरा दे। यही नहीं कार्रवाई के एक सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट भी सौंपे। बेंच ने राणे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है और अगले एक सप्ताह के अंदर इसे जमा कराने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान नारायण राणे के वकील ने अदालत से अपने आदेश पर 6 सप्ताह के लिए रोक की मांग की ताकि सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जा सके। लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। दरअसल नारायण राणे की कंपनी ने अदालत में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि वह आदेश दे कि बीएमसी निर्माण को मंजूरी प्रदान करे।

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बीएमसी ने इसी साल जून में नारायण राणे की ओर से अवैध निर्माण को मंजूरी प्रदान करने के लिए बीएमसी के समक्ष पहली अर्जी दी गई थी, जिसे उसने खारिज कर दिया था। इसके बाद उनकी कंपनी ने जुलाई में दूसरा आवेदन दिया था, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया। इस पर नारायण राणे की कंपनी ने हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां भी उसे झटका ही हाथ लगा।

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