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चीन में बढ़ते कोरोना के खतरे को भांपते हुए केंद्र सरकार ने भारत में भी तैयारियां तेज कर दी है।

सरकार ने घोषणा की है कि देश के सभी अस्पतालों में आपातकालीन तैयारियों का जायजा लेने के लिए 27 दिसंबर को मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा।

इसमें सरकारी और प्राइवेट सभी प्रकार के अस्पताल आएंगे। मॉक ड्रिल का निर्णय पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड स्थिति पर समीक्षा बैठक के एक दिन बाद आया है। जिसमें केंद्र ने राज्यों को ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, वेंटिलेटर और अस्पताल की अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्थिति जांचने और ऑडिट करने की सलाह दी है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक की और उन्हें सतर्क रहने और कोविड-19 प्रबंधन के लिए पूरी तैयारी रखने की सलाह दी। बैठक में मॉक ड्रिल पर भी चर्चा हुई। इस मॉक ड्रिल में डॉक्टर और नर्स पीपीई पहनने वाले श्वसन संबंधी लक्षणों वाले रोगियों की शारीरिक जांच करेंगे। इमरजेंसी और आईसीयू सुविधाएं पूरी ताकत से काम करेंगी। पीपीई, ऑक्सीजन आपूर्ति, मॉनिटर, डीफिब्रिलेटर और वेंटिलेटर ठीक से चल रहे हैं, का आकलन किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा, “अगर कोई कमी है, तो उसे ठीक किया जाएगा ताकि संकट की स्थिति में हम सतर्क रहें।”

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भारत में कोरोना की स्थिति


भारत में कोविड के मामले अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं। हालांकि, अधिकारियों ने कहा, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे की परिचालन तत्परता का आकलन किया जा रहा है क्योंकि कई देशों, विशेष रूप से चीन में कोविड-19 मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

बूस्टर डोज लेना जरूरी


मामले के जानकार अधिकारियों ने कहा कि भारत में कोरोना की स्थिति चिंताजनक नहीं है लेकिन, इसका यह मतलब नहीं कि हम संतुष्ट हो जाएं। अभी देश में सिर्फ 27 फीसदी वयस्कों ने ही कोरोना की बूस्टर डोज ली है। लोगों को बूस्टर डोज के लिए प्रेरित किया जा रहा है, बताया जा रहा है कि ऐसा करने से हमारा शरीर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सक्षम रहेगा। साथ ही सभी राज्यों को अस्पतालों में निगरानी बढ़ाने की सलाह दी गई है।