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आर्थिक तंगी का सामना कर रहा तीन लोगों का परिवार, जिसमें एक अपाहिज पिता और दो नाबालिग बेटियों ने फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली।

जिंदगी की जंग हार जाने वाला ये परिवार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के घोसीपुरवा इलाके में रहता था।

जानकारी के मुताबिक, 45 वर्षीय जितेंद्र श्रीवास्तव अपनी दो बेटियों, 16 वर्षीय मान्या, और 14 वर्षीय मानवी के साथ रहते थे। दोनों लड़कियां एक निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ती थीं। श्रीवास्तव ने 1999 में एक ट्रेन दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया था और उनकी पत्नी सिम्मी की दो साल पहले कैंसर से मृत्यु हो गई थी।

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पत्नी की मौत के बाद से श्रीवास्तव ने रोजी-रोटी के लिए घर में सिलाई का काम शुरू कर दिया था। वह पिछले दो साल से आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था। जीवन की इस हताशा के चलते जितेंद्र ने अपनी बेटियों के साथ फांसी पर लटकर आत्महत्या कर ली।

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गोरखपुर के एसएसपी गौरव ग्रोवर ने बताया कि एक निजी कंपनी में गार्ड के पद पर कार्यरत जितेंद्र श्रीवास्तव के पिता ओम प्रकाश उस रात ड्यूटी पर थे। अगली सुबह जब वह घर लौटा तो तीनों को फंदे पर लटका पाया और पुलिस को सूचना दी। व्यक्ति और उसकी दो बेटियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

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पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए हैं। पुलिस कर्मियों ने अपनी शुरूआती जांच में पाया कि बेटियों की स्कूल फीस पिछले पांच महीने से नहीं भरी गई थी। स्कूल प्रशासन ने कहा कि दोनों लड़कियां अच्छी छात्राएं थीं और उनके शिक्षा रिकॉर्ड के कारण स्कूल प्रबंधन ने फीस के लिए कभी कोई दबाव नहीं बनाया।