English മലയാളം

Blog

jayant_akhilesh

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के बीच सीटों को लेकर अबतक सहमती नहीं बन पाई है।

 

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की तैयारियां जोरों पर है। इस बीच राष्ट्रीय लोकदल (RLD) सुप्रीमो जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) गुरुवार को एसपी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के घर पहुंचे। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर आज बातचीत होगी.

चुनाव के लिए एसपी ने कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है।अखिलेश ने पूर्वी यूपी में सुलेहदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है तो वहीं वेस्ट यूपी में आरएलडी के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। लेकिन दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर अबतक कोई समहमति नहीं बन पाई है। जयंत और अखिलेश दोनों दो बड़ी साझा रैलियां भी कर चुके हैं पर अभी भी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है।

Also read:  अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शुरू हुई 'जंग', एक ने बरसाए BOMB तो दूसरे ने दागे गोले, देखें VIDEO

अखिलेश यादव 30-32 सीटों को लेकर राजी

कहा जा रहा है कि जयंत ज्यादा सीटें मांग रहे हैं और अखिलेश इसके लिए तैयार नहीं हैं। मुजफ्फरनगर और मेरठ की कुछ सीटों को लेकर संशय है। इसी पर बात करने के लिए गुरुवार को जयंत लखनऊ पहुंच गए हैं। माना जा रहा है कि आज सीटों पर अंतिम बात बन जाएगी। असल में आरएलडी 50 सीटों की मांग एसपी से कर रही है जब कि अखिलेश यादव 30-32 सीटों को लेकर राजी है। लिहाजा बताया जा रहा है कि दोनों के बीच अभी तक गठबंधन को लेकर फैसला नहीं हो सका है।

Also read:  'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच घटिया और छोटी है, 1000 और रेड कर लोगे मेरे खिलाफ, कुछ नहीं मिलेगा- मनीष सिसोदिया

पंचायत चुनाव के बाद RLD के हौंसले बुलंद

दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को देखते हुए जयंत चौधरी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और पंचायत चुनाव में आरएलडी ने वेस्ट यूपी में अच्छा प्रदर्शन किया था। जिसके बाद जयंत चौधरी को उम्मीद है कि इस बार पार्टी सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। अगर आरएलडी की बात करें तो उसने 2002 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था और 14 सीटें जीतीं थी जबकि इस चुनाव में दो फीसदी वोट मिले। इसके बाद वह 2007 में अकेले चुनाव लड़ी थी और उसे 10 सीटें मिली और उसका वोट हिस्सेदारी बढ़कर चार फीसदी हो गई। लेकिन उसे सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा।

Also read:  छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कार पलटने से छह दोस्तों में एक की मौत, दो की हालत गंभीर

वहीं 2012 के चुनाव में आरएलडी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और उसे नौ सीटें मिलीं जबकि उसकी वोट हिस्सेदारी कम हो गई और वह दो फीसद में सिमट गई।  इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में वह अकेले चुनाव लड़ी और उसे दो फीसदी वोट तो मिले। लेकिन एक ही सीट में उसे संतोष करना पड़ा। हालांकि आरएलडी का एकमात्र विधायक बाद में बीजेपी में शामिल हो गया था।